
नयी दिल्ली। कांग्रेस को पुर्नजीवित करने के लिए पार्टी अध्यक्षा सोनिया गांधी लगातार बैठकें कर रही हैं और तत्काल प्रभाव से फैसले भी ले रही हैं। सोनिया गांधी ने राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पुरानी बातों को रिकॉल करने लगे। उन्होंने सचिन पायलट की सोनिया गांधी से मुलाकात के 3 घंटे बाद ही 21 महीने पहले के सियासी संकट का जिक्र किया।
अशोक गहलोत ने सिविल सर्विसेज डे पर कल्चरल इवेंट में अफसरों के सामने सचिन पायलट खेमे की बगावत का जिक्र करते हुए कहा कि मेरे दिल में क्या है, वह मैं जुबां पर ला रहा हूं। जो सियासी संकट हुआ था, तब 34 दिन हम होटल में रुके थे। उस वक्त जब मैं सुबह होटल से आता था तो कुछ सरकारी काम करता और शाम को सियासी कार्यक्रम होते। उसके बाद क्राइसिस मैनेजमेंट का करता था। क्राइसिस बड़ा था, आप सबकी दुआओं से बच गए।
इसके बाद उन्होंने कहा कि मैं लिखा कर लाया था और तीसरी बार मुख्यमंत्री बना हूं। पूरे देश में नेता कहते रहते हैं कि उनकी जाति के 35 विधायक हैं, कोई कहता है 45 विधायक हैं। मैं कहता हूं कि मेरी जाति का राजस्थान में एक ही विधायक है और वो मैं खुद हूं।
उन्होंने कहा कि सियासी संकट के समय रात में जब मैं होटल जाता था तो सभी विधायक मेरा इंतजार कर रहे होते थे। उस वक्त विधायक मेरी बॉडी लैग्वेज से समझ रहे थे कि सरकार आ रही है या फिर जा रही है। मेरे साथ बैठे विधायको को कुछ नहीं मिल रहा था लेकिन बाहर निकलने पर 10-10 करोड़ रुपए का ऑफर था। मुझे इस पर गर्व है कि सभी विधायक 34 दिनों तक लालच की परवाह किए बगैर मेरे साथ बैठे रहे।
गहलोत कई बार कर चुके हैं जिक्र
आपको बता दें कि अशोक गहलोत सियासी संकट का उल्लेख कई बार कर चुके हैं। लेकिन इस बार सोनिया गांधी से सचिन पायलट की मुलाकात के तुरंत बाद ही उन्होंने इसका उल्लेख किया। जिसके कई मतलब निकाले जा रहे हैं। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने कहा, ‘संगठन के दृष्टिकोण पर चर्चा की है। भाजपा सरकार की दमनकारी नीतियां सबके सामने हैं, ऐसे में आम जन की आवाज बनने पर चर्चा की है। संगठन के चुनाव चल रहे हैं, उस पर भी बातचीत हुई है। पार्टी को मजबूत करने के लिए चर्चा पर हुई।’
उन्होंने आगे कहा कि राजस्थान में पिछले 30 वर्षों से एक परिपाटी है कि एक बार भाजपा सरकार, एक बार कांग्रेस सरकार। एआईसीसी ने लगभग दो साल पहले जो समिति बनाई थी, उसके माध्यम से हमने सरकार के भीतर कुछ उपयोगी कदम उठाए हैं। उसी पर आगे काम करना है ताकि संगठित होकर 2023 के विधानसभा चुनाव में दोबारा सरकार बना सकें। दरअसल, अशोक गहलोत और सचिन पायलट राजस्थान में कांग्रेस के दो विपरीत ध्रुव के तौर पर देखे जाते हैं।
सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच आज भी खटास देखी जा सकती है। सचिन पायलट के द्वारा पैदा किए गए सियासी संकट के बाद अशोक गहलोत के साथ उनकी कई बार मुलाकात हुई है। इसके बावजूद खटास कम होने का नाम नहीं ले रही है। अशोक गहलोत भले ही उस सियासी संकट से सरकार को बचाने में कामयाब हो गए हो लेकिन सचिन पायलट द्वारा उठाए गए कदम को वो कभी नहीं भूल पाए हैं। जिसका उल्लेख समय-समय पर करते रहते हैं।