
भारत में एक बार फिर हलाल मीट को लेकर बहस शुरू हो गई है. बहस की शुरुआत कर्नाटक में हुई. कर्नाटक में पिछले एक हफ्ते से हलाल मीट को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. इस पूरे विवाद की शुरुआत तब हुई, जब कुछ हिंदू संगठनों ने हिंदुओं से ‘होसातोड़ाकु’ के दिन हलाल मीट न खरीदने की अपील की. होसातोड़ाकु का मतलब है नए साल की शुरुआत.
इसी बीच बीजेपी के महासचिव सीटी रवि ने हलाल फूड को ‘आर्थिक जेहाद’ तक बता दिया. उन्होंने कहा कि हलाल आर्थिक जेहाद है. इसका मतलब एक ऐसे जेहाद से है जिसमें मुस्लिम दूसरों से कारोबार नहीं करना चाहते. जब वो सोचते हैं कि हलाल मीट खाना चाहिए तो ये कहने में क्या गलत है कि हलाल मीट नहीं खाना चाहिए?
सीटी रवि ने आगे कहा कि उनके भगवान को जो हलाल मीट चढ़ाया जाता है, वो उन्हें (मुस्लिम) पसंद होता है, लेकिन हमारे लिए तो वो किसी का बचा हुआ है. जब मुस्लिम, हिंदुओं से मीट खरीदने को तैयार नहीं हैं तो हिंदुओं को क्यों उनसे खरीदने पर मजबूर किया जा रहा है.
इस पूरे विवाद में आग में घी डालने का काम सरकारी आदेश ने किया. कर्नाटक पशुपालन विभाग ने बृहत बेंगलुरु महानगर पालिका (BBMP) को 1 अप्रैल को एक चिट्ठी लिखी. इसमें लिखा गया कि शहर में जितने भी बूचड़खाने और मुर्गे की दुकानें हैं, वहां जानवरों को बिजली का करंट देने की व्यवस्था होनी चाहिए.
हलाल मीट को लेकर विवाद नया नहीं
भारत में ये पहली बार नहीं है जब हलाल मीट को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. पिछले साल भी इस पर विवाद तब शुरू हो गया था, जब सरकार ने रेड मीट के मैनुअल से ‘हलाल’ शब्द हटा दिया था.
पिछले साल जनवरी में मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अधीन आने वाले एग्रीकल्चरल एंड प्रोसेस्ड फूड एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA) ने रेड मीट मैनुअल से ‘हलाल’ शब्द हटाकर ‘जानवरों को आयात करने वाले देशों के नियमों से काटा गया है’ लिख दिया था. सरकार के इस फैसले पर भी जमकर विवाद हुआ था. मुस्लिम संगठनों ने इस पर आपत्ति जताई थी.
हलाल मीट को लेकर पिछले साल नवंबर में उस समय भी विवाद हो गया था, जब न्यूजीलैंड सीरीज के दौरान BCCI ने अपने खिलाड़ियों को सलाह दी थी कि उन्हें सिर्फ हलाल मीट ही खाना चाहिए.
मीट के निर्यात में भारत दूसरे नंबर पर
‘स्टेट ऑफ द ग्लोबल इस्लामिक इकोनॉमी रिपोर्ट 2020-21’ के मुताबिक, दुनिया में सबसे ज्यादा हलाल मीट का निर्यात ब्राजील करता है. दूसरे नंबर पर भारत है. इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2020-21 में ब्राजील ने 16.2 अरब डॉलर का हलाल मीट एक्सपोर्ट किया था. वहीं, भारत ने 14.2 अरब डॉलर का हलाल फूड निर्यात किया था.
भारत सरकार के अपने कोई आधिकारिक आंकड़े नहीं है, जिसमें बताया गया हो कि सरकार ने कितना हलाल मीट एक्सपोर्ट किया और कितना झटका मीट. सरकार ऐसा कोई सर्टिफिकेट भी नहीं देती जिससे पता चले कि ये मांस हलाल का है या झटके का.
APEDA की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत से दुनियाभर के 70 से ज्यादा देशों में मीट और एनिमल प्रोडक्ट्स निर्यात किया जाता है. रिपोर्ट बताती है कि देश में 111 यूनिट ऐसी हैं जहां तय मानकों और गाइडलाइंस से जानवरों को काटा जाता है और यहीं से मीट को एक्सपोर्ट किया जाता है.