
रुड़की। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) रुड़की और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेस (एरीज) नैनीताल संयुक्त रूप से अनुसंधान में सहयोग करेंगे एवं परामर्श को बढ़ाएंगे। संकाय सदस्यों, वैज्ञानिकों और विद्यार्थियों का आदान-प्रदान किया जाएगा। साथ ही वैज्ञानिक और तकनीकी मामलों को एक-दूसरे से साझा करेंगे और संयुक्त सम्मेलन, कार्यशालाएं एवं अल्पकालीन पाठ्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
आइआइटी रुड़की और एरीज ने शैक्षणिक सहयोग के तहत सहमति ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। इसका लक्ष्य एक-दूसरे से प्राप्त जानकारियों के आधार पर सर्वश्रेष्ठ प्रयासों से आपसी हितों की रक्षा और लगातार विचारों के आदान-प्रदान से सहयोग करते हुए ज्ञान को बढ़ाना है। इस सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर के दौरान आइआइटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजित के चतुर्वेदी ने कहा कि इस भागीदारी का उद्देश्य दोनों संस्थानों के शोधकर्ताओं को एक-दूसरे के समीप लाना है। ताकि उनकी तत्संबंधी शक्तियों को मिलाकर वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग संबंधी समस्याओं का हल मिलकर ढूंढा जा सके। बताया कि आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेस की ओर से 1.04m, 1.3m और 3.6m अपरचर्स के तीन ऑप्टिकल टेलिस्कोप्स और एक आगामी 4m लिक्विड मिरर टेलिस्कोप प्रस्तुत होगा।
हिमालय क्षेत्र में कई स्थानों पर किए गए व्यापक सर्वे के बाद आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेस ने अब एक नया साइट देवस्थल में विकसित किया है। देवस्थल कैंपस में 1.3m, 3.6m तथा आगामी 4m लिक्विड मिरर टेलिस्कोप स्थापित किए गए हैं। एरीज के निदेशक प्रोफेसर दीपंकर बनर्जी ने कहा कि उनका संस्थान वैज्ञानिक उपकरणों को आइआइटी रुड़की को अपने श्रेष्ठ प्रयास करके प्रदान करने में सहायक होगा। जोकि एक-दूसरे के लाभ के लिए होगा और दोनों संस्थानों के विद्यार्थियों को सुविधाएं प्रदान करेगा।
सहमति ज्ञापन के मुख्य बिंदु
– आइआइटी रुड़की के फिजिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स तथा कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के विद्यार्थी एरीज के विभिन्न प्रकार के टेलिस्कोप्स पर प्रोजेक्ट संबंधी गतिविधियों में शामिल हो सकेंगे।
– इलेक्ट्रॉनिक्स व कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग विभाग के विद्यार्थी एरीज की हो रही माइक्रोवेव इंजीनियरिंग/ एटमॉस्फियरिक रडार पर चल रहे प्रोजेक्ट की गतिविधियों में सहभागी हो सकेंगे।