
सुप्रीम कोर्ट में आज हिजाब मामले पर सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है. यह संविधान कि प्रस्तावना में स्पष्ट है. हमारा संविधान कहता है कि हमारा देश एक धर्मनिरपेक्ष देश है, तो क्या एक धर्मनिरपेक्ष देश में आप यह कह सकते हैं कि सरकार द्वारा संचालित संस्थान में धार्मिक कपड़े पहनने होते हैं. अदालत ने कहा, ‘ये एक तर्क हो सकता है’. वहीं, सुनवाई के दौरान वकील राजीव धवन ने कहा कि यह एक संवैधानिक मुद्दा है. अदालत को यह तय करना है कि मुस्लिम महिलाएं धार्मिक परंपरा के मुताबिक कपड़े पहनेंगी या नहीं.
उन्होंने कहा हिजाब का मामला एक संवैधानिक प्रश्न से संबंधित है, जिसे इस मामले ने पहले नहीं निपटाया है. यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न से संबंधित है कि क्या हिजाब इस्लाम के लिए जरूरी है? धवन ने आगे कहा, ‘जब कोई निर्धारित कोड हो तो क्या पगड़ी पहनी जा सकती है?’जब याचिकाकर्ताओ ने पगड़ी का हवाला दिया तो शीर्ष अदालत ने इससे इनकार करते हुए कहा कि पगड़ी की तुलना हिजाब से नहीं की जा सकती. जस्टिस हेमंत गुप्ता ने कहा, ‘पगड़ी सिर्फ धार्मिक पोशाक नहीं है. मेरे दादा वकालत करते हुए इसे पहना करते थे, तो पगड़ी को सिर्फ धर्म से नहीं जोड़िए.’
अदालत के फैसले पर पूरी दुनिया की नजर- वकील
इसके जवाब में धवन ने कहा कि यहां उन लाखों लड़कियों का सवाल है, जो स्कूल ड्रेस का पालन करती हैं. हालांकि हिजाब पहनने की जिद्द भी करती हैं. यहां सवाल यह है कि क्या धार्मिक कपड़ों के अधिकार को स्कूल ड्रेस या किसी वर्दी में सीमित किया जा सकता है? वरिष्ठ अधिवक्ता धवन ने आगे कहा कि यह सुझाव दिया गया था कि दुपट्टा और वर्दी एक ही रंग का हो. यहां तक कि इस कोर्ट में भी कुछ महिलाएं पहनती हैं. अब स्कूलों में क्या उन्हें इसे हटाने के लिए कहा जाना चाहिए? यह अदालत क्या फैसला लेगी, इसपर पूरी दुनिया की नजर है. हिजाब पर फैसला देश और दुनिया भर में महिलाओं को प्रभावित कर सकता है.