Uttarakhand

सूखाताल झील के पास निर्माण कार्यों को लेकर हाई कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान

नैनीताल : हाई कोर्ट (High Court Uttarakhand) ने नैनीताल की सूखाताल झील (Sukhatal Lake) का हो रहे सुंदरीकरण व भारी भरकम निर्माण मामले का कोर्ट ने स्वतः संज्ञान (suo motu) लिया है। सोमवार को मामले की सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जनहित याचिका में अधिवक्ता कार्तिकेय हरि गुप्ता को न्यायमित्र नियुक्त किया है। अगली सुनवाई को दो मई की तिथि नियत की है।

सोमवार को कुमाऊं मंडल विकास निगम की ओर से शपथपत्र पेश कर कहा गया कि झील में बारिश के समय पानी भरता है। लेक की सतह पर कंक्रीट नहीं करके उसकी सतह पर अब जीओ सिंथेटिक की परत बिछाई जा रही है। जिससे लेक का रिसाव धीरे धीरे होगा, लेक में 12 माह पानी भरा रहेगा और नैनी झील से दबाव कम होगा। पहले लेक की सतह पर कंक्रीट करने का प्रस्ताव था, जिसे आईआईटी रुड़की ने निरस्त कर दिया। लेक का सम्पूर्ण कार्य आईआईटी रुड़की के दिशानिर्देशों के अनुसार किया जा रहा है। शपथपत्र में यह भी कहा गया है कि इस लेक का नैनीझील में केवल तीन प्रतिशत ही पानी जाता है।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में नैनीताल निवासी डॉ जीपी साह व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इन लोगों ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर सूखाताल में हो रहे भारी भरकम निर्माण से झील के प्राकृतिक जल स्रोत बन्द होने सहित कई अन्य बिंदुओं से अवगत कराया था । पत्र में कहा है कि सूखाताल नैनी झील का मुख्य रिचार्जिंग केंद्र है और उसी स्थान पर इस तरह अवैज्ञानिक तरीके से निर्माण किया जा रहा है ।

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