
हाई कोर्ट ने रामनगर के शक्खनपुर में स्थित मनराल स्टोन क्रशर के अवैध रूप से संचालित होने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने जिलाधिकारी नैनीताल को आदेश दिए है कि मनराल स्टोन क्रशर के संचालन पर रोक लगाएं। अगली सुनवाई को 6 अप्रैल की तिथि नियत की है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा व न्यायमुर्ति आरसी खुल्बे की खण्डपीठ ने राज्य सरकार से पूछा था कि क्या राज्य में स्टोन क्रेशर लगाने की अनुमति देने से पूर्व साइलेंट जोन, इंडस्ट्रियल ज़ोन, और रेजिडेंशियल जोन का निर्धारण किया गया है या नही।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को अवगत कराया कि राज्य को बने हुए 21 साल हो गए हैं अभी तक यह स्पष्ट नहीं हुआ है, कि कौन सा क्षेत्र रेजीडेंसियल है, कौन सा क्षेत्र इंडस्ट्रियल और कौन सा क्षेत्र साइलेंट जोन। जहां मर्जी हो वहाँ स्टोन क्रशर खोले जाने के अनुमति दी जा रही है।
जबकि हाई कोर्ट ने भी अपने आदेस में कहा था कि न्यायलय के आदेश के बिना स्टोन क्रेशर लगाने की अनुमति नही दी जाय उसके बाद भी पीसीबी व सरकार ने पुरानी तिथि से इसे लगाने की अनुमति दे दी गयी। यह स्टोन क्रशर आबादी क्षेत्र में लगाया गया है।
रामनगर निवासी आनन्द सिंह नेगी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि कार्बेट नेशनल पार्क के समीप सक्खनपुर में मनराल स्टोन क्रेशर अवैध रूप से चल रहा है। स्टोन क्रेशर के पास पीसीबी का लाइसेंस नही है। स्टोन क्रेशर कार्बेट नेशनल पार्क के समीप लगाया है।
उत्तराखंड में अभी तक राज्य सरकार द्वारा राज्य में साइलेंट ज़ोन, इंडस्ट्रियल ज़ोन और रेजिडेंशियल ज़ोन का निर्धारण नही किया है, बावजूद इसके किसी भी जगह स्टोन क्रेसर लगाने की अनुमति दे दी जाती है। लिहाजा इन स्टोन क्रशरों को बंद किया जाए।