
देहरादून: Uttarakhand Assembly Recruitment : विधानसभा में भर्तियों के प्रकरण को निपटाने को पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत के सुझाव के बाद पार्टी में नए सिरे से खींचतान तेज होने के आसार हैं। कांग्रेस का राष्ट्रीय नेतृत्व और प्रदेश संगठन इन नियुक्तियों को लेकर सरकार के साथ किसी भी तरह बीच-बचाव के पक्ष में खड़ा नहीं दिख रहा है।
हरीश रावत ने बीते दिन इंटरनेट मीडिया पर दिया सुझाव
पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने बीते दिन इंटरनेट मीडिया पर यह सुझाव दिया था कि विधानसभा में नियुक्तियों को लेकर विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री और हो सके तो नेता प्रतिपक्ष को बैठकर रास्ता निकालना चाहिए। इससे विधानसभा रूपी संस्था का मान-सम्मान और जनता का विश्वास बना रहेगा। यह अलग बात है कि विधानसभा में भर्तियों पर विवाद की छाया पडऩे के बाद कांग्रेस का रुख हरीश रावत से मेल खाता नहीं दिखा है।
माहरा इस मामले में पिछली कांग्रेस सरकार को बख्शने के मूड में नहीं
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा राज्य बनने के बाद से अभी तक यानी भाजपा के साथ कांग्रेस की पिछली दो सरकारों के कार्यकाल में विधानसभा में हुई नियुक्तियों की जांच की मांग कर रहे हैं। उनके निशाने पर सीधे तौर पर चौथी विधानसभा में विधानसभा अध्यक्ष रहे व वर्तमान कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के कार्यकाल में हुई नियुक्तियां हैं। लेकिन, माहरा इस मामले में पिछली कांग्रेस सरकार को भी बख्शने के मूड में नहीं हैं।
निशाने पर राज्य के साथ ही केंद्र की भाजपा सरकार भी
ऐसे में हरीश रावत की टिप्पणी से प्रदेश में भी आने वाले दिनों में कांग्रेस के भीतर नए सिरे से गुटीय खींचतान तेज हो सकती है। पार्टी प्रदेश में भर्ती परीक्षाओं में घोटाले और विधानसभा में नियुक्तियों में अनियमितता सामने आने के बाद उग्र है। पार्टी के निशाने पर राज्य के साथ ही केंद्र की भाजपा सरकार भी है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष माहरा, और उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी इस मामले में नियमित रूप से हमला बोल रहे हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य अपने विधानसभा अध्यक्ष के कार्यकाल में हुई नियुक्तियों की जांच की मांग कर चुके हैं तो इसके पीछे मुख्य वजह पार्टी का रुख ही है।