
भारत सरकार ने भगोड़े जाकिर नाइक (Zakir Naik) के इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन पर प्रतिबंध लगा दिया है. ये प्रतिबंध यूएपीए (Unlawful Activities (Prevention) Act) के तहत लगाया गया है. दिल्ली उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी.एन. पटेल वाले ट्रिब्यूनल ने आज प्रारंभिक सुनवाई के लिए मामले को उठाया. इसके बाद देश के सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट में अपनी बात रखी.
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक अधिसूचना में कहा है, ‘इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन (आईआरएफ के रूप में भी जाना जाता है) ऐसी गतिविधियों में लिप्त रहा है, जो देश की सुरक्षा के प्रतिकूल हैं और शांति एवं सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने और देश के धर्मनिरपेक्षता वाले माहौल को बाधित कर सकती हैं. गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 (1967 का 37) की धारा 3 की उपधारा (1) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार ने आईआरएफ को एक गैरकानूनी संगठन के रूप में घोषित किया है.’
ट्रिब्यूनल का गठन क्यों किया गया?
अधिसूचना में कहा गया है, गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) ट्रिब्यूनल का गठन गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 5 के तहत किया गया था, ताकि यह तय किया जा सके कि आईआरएफ को गैरकानूनी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं या नहीं. एसोसिएशन और ट्रिब्यूनल ने अपने आदेश में इस तरह की गई घोषणा की पुष्टि की है.
नफरत फैला रहा जाकिर नाइक
केंद्र सरकार का ऐसा मानना है कि आईआरएफ और उसके सदस्य… विशेष रूप से आईआरएफ का संस्थापक और अध्यक्ष डॉ. जाकिर अब्दुल करीम नाइक उर्फ डॉ जाकिर नाइक, अपने अनुयायियों को विभिन्न धार्मिक समुदायों और समूहों के बीच नफरत फैलाने के लिए बढ़ावा और सहायता दोनों देता है. नीचे बताई गई इन बातों से पता चलता है कि वह देश की अखंडता और सुरक्षा के लिए हानिकारक है.
1. जाकिर नाइक द्वारा दिए गए बयान और भाषण आपत्तिजनक और विध्वंसक होते हैं.
2. ऐसे भाषणों और बयानों के माध्यम से नाइक, विभिन्न धार्मिक समूहों के बीच दुश्मनी और नफरत को बढ़ावा दे रहा है. वह भारत और विदेशों में एक विशेष धर्म के युवाओं को आतंकवादी कृत्य करने के लिए प्रेरित कर रहा है.
3. जाकिर नाइक ने अंतरराष्ट्रीय सैटेलाइट टीवी नेटवर्क, इंटरनेट, प्रिंट और सोशल मीडिया के माध्यम से दुनियाभर में लाखों लोगों के समक्ष कट्टरपंथी बयान और भाषण दिए हैं.
केंद्र सरकार का यह भी मानना है कि अगर आईआरएफ की गैर-कानूनी गतिविधियों पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई और इसे तुरंत नियंत्रित नहीं किया गया, तो वह-
1. अपनी विद्वेशकारी गतिविधियां जारी रखेगा और अपने उन कार्यकर्ताओं को दोबारा संगठित करेगा, जो अभी भी भगोड़े हैं.
2. लोगों के मन में सांप्रदायिक वैमन्सय की भावना पैदा करके लोगों को भड़काकर देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को भंग करेगा.
3. देश विरोधी भावनाओं का प्रचार करेगा.
4. उग्रवाद का समर्थन करके पृथकवाद को बढ़ावा देगा.
5. देश की प्रभुसत्ता, अखंडता और सुरक्षा को नुकसान पहुंचाने वाली गतिविधियां चलाएगा.