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नए साल में कार से लेकर कुकिंग ऑयल तक सब कुछ होगा महंगा

साल 2021 का आखिरी महीना अंतिम चरण में है. आज से ठीक सात दिन बाद नए साल की शुरुआत हो जाएगी. नए साल पर आम लोगों को महंगाई की सौगात मिलने वाली है. नए साल में खाने के तेल का भाव और बढ़ सकता है. साल 2022 में मैन्युफैक्चरिंग और कंज्यूमर गुड्स कंपनियां कीमतों में बढ़ोतरी कर सकती हैं. महंगे रॉ मटीरियल के कारण साल 2021 में इन कंपनियों ने दो-तीन बार प्राइस हाइक की है. कोरोना के कारण सप्लाई-चेन सिस्टम बुरी तरह गड़बड़ा गया है. इसका असर भी कीमत पर दिख रहा है.

FMCG कंपनियों ने कहा कि वह अगले तीन महीने में प्रोडक्ट्स की कीमत में 4-10 फीसदी की बढ़ोतरी कर सकती हैं. दिसंबर महीने में कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां पहले ही कीमत 3-5 फीसदी तक बढ़ा चुकी हैं. इस महीने फ्रीज, वॉशिंग मशीन, एयर कंडिशन की कीमतों में तेजी आई है. माना जा रहा है कि 10 फीसदी तक इनकी कीमतें और बढ़ेंगी. दिसंबर 2020 के बाद से व्हाइट गुड्स की कीमतों में तीन बार बढ़ोतरी हो चुकी है, जबकि चौथी दफा की तैयारी चल रही है.

ऑटो कंपनियां कई बार कीमत बढ़ा चुकी हैं

इसके अलावा ऑटो सेक्टर में भी महंगाई का असर दिख सकता है. इस साल ऑटो कंपनियों ने कई बार कीमतों में बढ़ोतरी की है. मारुति सुजुकी, टाटा मोटर्स, हुंडई, महिंद्रा एंड महिंद्रा, स्कोडा, वोल्क्सवैगन जैसी कंपनियां पहले ही कीमतों में इजाफा कर चुकी हैं. मारुति और हीरो मोटोकॉर्प ने कहा कि वह 2022 में भी कीमतों में इजाफा करेगी.

12 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई है

FMCG कंपनियों की बात करें तो पिछली दो तिमाहियों में हिंदुस्तान यूनिलीवर, डाबर, ब्रिटानिया, मैरिको जैसी कंपनियां कीमत में 5-12 फीसदी तक बढ़ोतरी कर चुकी हैं. मार्च तिमाही तक इनकी कीमतों में 5-10 फीसदी की एडिशनल बढ़ोतरी संभव है. डाबर कंपनी के सीईओ मोहित मलहोत्रा ने कहा कि कंपनी ने महंगाई को ध्यान में रखते हुए पहले ही कीमत 4 फीसदी तक बढ़ा चुकी है. अगर महंगाई दर में सुस्ती नहीं आती है तो कीमत में और इजाफा किया जा सकता है.

12 फीसदी का आया था उछाल

Nielsen की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, सितंबर तिमाही में FMCG मार्केट में 12 फीसदी का उछाल दर्ज किया गया. यह उछाल कीमतों में आई तेजी के कारण है. 12 फीसदी ग्रोथ में 90 फीसदी योगदान तो प्राइस रिवीजन का है. एक्चुअल में केवल 10 फीसदी योगदान बिक्री आधारित है.

प्राइस हाइक के प्रमुख कारण

कंज्यूमर ड्यूरेबल्स इंडस्ट्री के लोगों का कहना है कि इनपुट कॉस्ट में 22-23 फीसदी तक का उछाल आया है. स्टील, कॉपर, एल्युमीनियम, प्लास्टिक और अन्य कंपोनेंट की कीमतों में आई तेजी के कारण ही इनपुट कॉस्ट काफी बढ़ा है. इन कंपोनेंट की कीमत इस समय ऑल टाइम हाई पर है. इसके अलावा समंदर के रास्ते कच्चा माल ढुलाई का कॉस्ट भी काफी बढ़ गया है. जिस कंटेनर की मदद से सप्लाई की जाती है तो, उसकी किल्लत हो जाने के कारण भी कंटेनर कॉस्ट काफी बढ़ गया है. इसके अलावा कच्चे तेल का भाव, पैकेजिंग कॉस्ट में भी उछाल आया है.

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