पांच वर्ष बाद भी अल्मोड़ा के मृग विहार को नहीं मिली मिनी चिड़ियाघर की मान्यता

अल्मोड़ा: पांच वर्षों के बाद भी मृग विहार का विस्तार मिनी चिड़ियाघर के रूप में नहीं हुआ है। अब तक सेंटर जू आथारिटी (सीजेडए) की ओर से मिनी जू की मान्यता के लिए प्रस्तावित मास्टर प्लान पास नहीं हो पाया है। जबकि मृग विहार को मिनी जू बनाने का ले आउट सीजेडए पूर्व में पास कर चुका है। लेकिन इसके बावजूद भी मिनी जू की मान्यता नहीं मिल सकी है।
सरकार जहां एक ओर उत्तराखंड को पर्यटन प्रदेश बनाने के दावे कर रही है। लेकिन इन दावों की जमीनी हकीकत कुछ और ही है। अल्मोड़ा के एनटीडी में 1978 में मृग विहार की स्थापना हुई थी। करीब 38 हेक्टेयर में फैले मृग विहार में विभिन्न वन जीव हैं। वहीं इसमें रेस्क्यू सेंटर भी स्थापित किया गया है।
मृग विहार पर्यटन आकर्षण का मुख्य केंद्र हैं। दूर-दूर से अल्मोड़ा पहुंचे पर्यटक यहां वन जीव प्राणियों को देखने पहुंचते हैं। वर्ष 2016 में मृग विहार को सीजेडए की मान्यता मिली थी। सिविल सोयम अल्मोड़ा की ओर से मिनी जू के लिए ले आउट प्लान भेजा गया था, जिसे कमेटी ने पास भी कर दिया था।
इसके बाद सिर्फ मिनी चिड़ियाघर के प्रस्ताव पर मुहर लगने का इंतजार था, जिसके बाद चिड़ियाघर नए रूप में नजर आने की उम्मीद थी। जिससे यहां पर्यटन विकास को भी गति मिलती। लेकिन मास्टर प्लान में सीजेडए की ओर से कुछ आपत्तिया थी, जिनका निस्तारण कर फिर से प्रस्ताव मांगा गया। अब पांच वर्ष बाद भी मान्यता नहीं मिल सकी है।
मास्टर प्लान में सीजेएड की ओर से मृग विहार को मिनी चिड़ियाघर की मान्यता नहीं मिल सकी है। पिछले पांच वर्षों से सिर्फ निरीक्षण और आपत्तियों के निस्तारण में भी कहानी उलझी हुई है। सीजेडए की टीम समय-समय पर यहां निरीक्षण करने पहुंचती है।
हर बार मास्टर प्लान में आपत्तियां दर्ज कर निस्तारण के लिए रिपोर्ट भेज देती है। बीते अप्रैल माह में भी टीम निरीक्षण कर वापस लौट चुकी है। पर हर बार निरीक्षण के बाद भी मान्यता लटकी हुई है।
104 से अधिक वन्य जीव है मृग विहार में
वर्तमान में मृग विहार में नौ तेंदुए, 63 चीतल, 29 सांभर, एक-एक घुरड़, भालू और सफेद बंदर हैं। मिनी- जू की मान्यता के मिलने के बाद यहां जलवायु के अनुसार अन्य प्रजातियों के जानवरों को लाने की भी योजना है।
सीजेडए की ओर से मान्यता को लेकर अंतिम चरण में प्रक्रिया चल रही है। बीते अप्रैल माह में भी टीम निरीक्षण करके गई है। उम्मीद है कि इस बार मान्यता मिल जाए।