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बागेश्वर में तीन साल बाद भी नहीं मिले पर्यावरण मित्र, गंदगी का अंबार लगा

बागेश्वर : परिसीमन के बाद नगर पालिका में पांच नए वार्ड शामिल हुए। पूर्व में यह गांव थे। पालिका में शामिल होने के तीन वर्ष बाद भी यहां पर्यावरण मित्रों की तैनाती नहीं हो सकी है। सूखा कूड़ा तो डोर-टू-डोर उठता है। लेकिन गीला कूड़ा फिर वार्ड में गंदगी फैल रहा है। बंदर, कुत्ते और अन्य जानवर उसे बिखेर रहे हैं। गर्मी के दिन आने वाले हैं। यदि वार्डों में स्वच्छता की ठोस व्यवस्था नहीं हुई तो संक्रमित बीमारियों के फैलने की आशंका बनी हुई है।

2011 की जनगणना के अनुसार शहर की जनसंख्या 37 हजार थी। लेकिन वर्तमान में लगभग 50 हजार का आंकड़ा पार कर गई है। तीन वर्ष पूर्व ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़कर चार नए वार्ड बनाए गए। नए किसी भी वार्ड में पर्यावरण मित्र की तैनाती नहीं हो सकी है। 37 हजार जनसंख्या पर कम से कम 70 पर्यावरण मित्रों की जरूरत है। जबकि वर्तमान में 43 पर्यावरण मित्र पालिका के पास हैं। पालिकाध्यक्ष सुरेश खेतवाल कहते हैं कि पालिका के विस्तार के बाद लगातार विकास हो रहा है। सड़क, रास्ते, पेयजल, घाट निर्माण आदि के साथ ही पालिका ने आय बढ़ाने के लिए तमाम काम किए हैं। जिन स्थानों पर दिक्कतें हैं, वहां भी काम हो रहा है। शीघ्र वार्डों को सभी सुविधाएं मिलेंगी।

यहां नहीं हैं पर्यावरण मित्र

मंडलसेरा, कठातयबाड़ा, सैम मंदिर और बिलौनासेरा वार्ड में पर्यावरण मित्र नहीं हैं। यहां डोर-टू-डोर कूड़ा उठाया जाता है। गीला कूड़ा उठाने की कोई व्यवस्था नहीं है।

अधिशासी अधिकारी सतीश कुमार ने बताया कि 2011 से जनगणना नहीं हो सकी है। शहर की जनसंख्या लगातार बढ़ रही है। वर्तमान में 43 पर्यावरण मित्र हैं, जबकि 70 की जरूरत है। पर्यावरण मित्रों की तैनाती के प्रयास किए जा रहे हैं। स्वच्छता के लिए हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं।

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