
रुद्रप्रयाग/देहरादून। उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद में लगातार दुग्ध उत्पादन में वृद्धि हो रही है। नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनसीडीसी) योजना के तहत किसानों को डेयरी व्यवसाय से डेयरी विकास विभाग जोड़ने में लगा है। जिससे डेयरी व्यवसाय किसानों की आजीविका के उत्थार का जरिया बन रहा है।
दुग्ध विकास विभाग के वरिष्ठ प्रबंधक एसके शर्मा ने बताया कि नेशनल कोऑपरेटिव डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनसीडीसी) योजना के तहत डेयरी विकास विभाग किसानों को मवेशी खरीदने एवं उनका व्यवसाय स्थापित करने में पूरी मदद कर रहा है। इसके अलावा समय-समय पर व्यवसाय के लिए प्रशिक्षण एवं आधुनिक तकनीक के प्रयोग भी सिखाए जा रहे हैं। जनपद में वर्तमान में 15 हजार लीटर दुग्ध उत्पादन प्रतिदिन होता है जबकि करीब 10 हजार लीटर दूध बाहर से आ रहा है, ऐसे में यह स्पष्ट है कि जनपद में इस क्षेत्र में बहुत लोग स्वरोजगार कर सकते हैं।
डेयरी उत्पादों की बढ़ती मांग के चलते पारंपरिक किसानों ने तो तरक्की की ही है, वहीं जिले में कई नए डेयरी व्यवसाय भी स्थापित हो रहे हैं। जिला प्रशासन एवं दुग्ध विकास विभाग के सहयोग एवं मार्गदर्शन में रूद्रप्रयाग के तीनों विकास खंडों में प्रतिवर्ष नए किसान दुग्ध विकास विभाग के जरिए दुधारू पशुओं की खरीद कर अपनी आजीविका में सुधार ला रहे हैं। एनसीडीसी योजना के अंतर्गत डेयरी विकास विभाग किसानों को डेयरी व्यवसाय से जोड़ रहा है। विभाग की ओर से किसानों को आधुनिक तकनीक एवं उपकरणों की जानकारी और प्रशिक्षण भी दी जा रही है। वहीं दुधारू मवेशियों की खरीद के लिए आसानी से लोन (ऋण) उपलब्ध कराने के साथ ही पशुओं की खरीद में पूरी मदद भी की जा रही है। साथ ही, विभाग समय-समय पर किसानों को डेयरी से जुड़े प्रशिक्षण भी दे रहा है। जिससे किसान वैज्ञानिक विधि से पशुओं की देखभाल कर सकें।
वर्तमान समय में जिले में विभिन्न महिला समूह एवं किसान मिलकर प्रतिदिन 15 हजार लीटर से ज्यादा दूध उत्पादन कर बेच रहे हैं।
अगस्त्य मुनि ब्लाॅक के हाट गांव के संदीप गोस्वामी पिछले पांच साल से दुग्ध व्यवसाय में हैं। संदीप ने अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद स्वरोजगार को अपने करियर के तौर पर अपनाया। उन्होंने कई व्यवसायों में हाथ आजमाने के बाद दुग्ध उत्पादन को ही प्राथमिकता देना तय किया। उन्होंने दुग्ध विकास विभाग से संपर्क कर सभी योजनाओं की जानकारी ली। विभाग ने उन्हें योजनाओं की जानकारी देते हुए मवेशी खरीद एवं गौशाला निर्माण में उनकी मदद की। जहां उन्होंने शुरूआत में दो गाय से अपना काम शुरू किया था आज उनके पास 14 मवेशी हैं। जिनमें उच्च नस्ल की गायें शामिल हैं जो दिन में 25 से 30 लीटर दूध देती हैं। संदीप प्रति महीने करीब 8500 लीटर दुग्ध उत्पादन कर तीन लाख रुपये से ज्यादा की प्रति माह कमाई कर रहे हैं। वहीं संदीप ने अपने व्यवसाय के जरिए 10 लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया है।
जीवन में कुछ करने का ज़ज्बा हो और हौसले बुलंद हों तो कुछ भी असंभव नहीं। इसकी ज्वलंत उदाहरण गीता देवी भी हैं। हाट गांव निवासी गीता देवी बेहद साधारण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। परिवार की आर्थिक स्थिति नाजुक थी ऐसे में उन्होंने परिवार के भरण पोषण के लिए दुग्ध व्यावसाय का रास्ता चुना। संदीप ने भी उनकी मदद कर उन्हें दुग्ध विकास विभाग की योजनाओं की जानकारी देते हुए व्यावसाय स्थापित करने में मदद की। शुरुआत में उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ा, लेकिन समय के साथ काम की बारीकियों को समझते हुए उन्होंने संघर्ष जारी रखा। वर्तमान समय में गीता देवी के पास सात मवेशी हैं एवं वह महीने में करीब 3500 लीटर दूध का उत्पादन कर बेच रही हैं। गीता ने बताया कि महीने में डेढ़ लाख से ज्यादा की कमाई डेयरी उत्पाद बेचने से ही हो रही है। उन्होंने अपने साथ चार और लोगों को रोजगार भी उपलब्ध कराया है।
कोरोना काल में रोजगार छिन जाने के बाद ग्वाड- पुनाड़ निवासी अजय कपरवाण लंबे समय तक बेरोजगारी से जूझते रहे। इसी बीच उन्हें दुग्ध विकास विभाग की एनसीडीसी योजना की जानकारी प्राप्त हुई, इसके बाद उन्होंने विभाग में संपर्क कर योजना की पूर्ण जानकारी जुटाई। उन्होंने विभाग के मार्गदर्शन में पांच मवेशी खरीद कर अपना व्यवसाय स्थापित किया। पहले महीने से ही दूध का उत्पादन अच्छा होने लगा और डेयरी विभाग ने ही करीब 60 लीटर दूध उनसे खरीदना शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने तीन और गाय खरीद कर अपने व्यापार का विस्तार किया। वर्तमान समय में उनके पास आठ गाय हैं, जिनसे करीब 3500 लीटर दूध प्रतिमाह उत्पादन कर बेच रहे हैं एवं डेढ़ लाख से ज्यादा की कमाई कर रहे हैं। अजय अपने अलावा छह और लोगों को रोजगार उपलब्ध करवा रहे हैं।