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देश में बने लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर वायु सेना में हुआ शामिल

सोमवार का दिन देश के इतिहास के लिए बेहद यादगार बन गया. अपनी वायु सेना में सोमवार को देश में बने लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर यानी कि एलसीएच का शामिल किया गया. यह पहला मौका है जब देश में बने इस तरह के मारक हेलिकॉप्टर को सेना में शामिल किया गया. एलसीएच को शामिल करने का कार्यक्रम राजस्थान के जोधपुर में आयोजित किया गया जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह शामिल हुए. देश में ही रक्षा से जुड़े साजो समाना और हथियार बड़े पैमाने पर बनें, इसके लिए राजनाथ सिंह का रोल बेहद अहम माना जा रहा है. रक्षा मंत्री ने इस दिशा में कई अहम काम आगे बढ़ाए हैं. सबसे खास बात उस देसी कंपनी की है जिसने एलसीएच का निर्माण किया है. इस कंपनी का नाम है हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड यानी की एचएएल या हाल.

आइए एचएएल के बारे में जानते हैं जिसने वायु सेना के लिए लाइट कॉम्बैट हेलिकॉप्टर तैयार किया है. हेलिकॉप्टर बनाने का पूरा काम आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत किया गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली सरकार ने आत्मनिर्भर भारत अभियान की शुरुआत की है जिसमें अलग-अलग क्षेत्रों में भारत को आत्मनिर्भर बनाना है. रक्षा के क्षेत्र में यह काम काफी तेजी से बढ़ाया जा रहा है क्योंकि इस काम में भारत अरबों रुपये खर्च करता है. इस पैसे को विदेश में जाने से बचाने और भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ाने और रोजगार सृजन के लिए आत्मनिर्भर भारत अभियान चलाया जा रहा है. इस दिशा में यह अभियान बेहद सफल साबित हो रहा है. एलसीएच भी उसी का एक नमूना है.

1940 में कंपनी की स्थापना

अब बात एचएएल यानी कि हाल की. इस कंपनी की स्थापना साल 1940 में की गई थी. कंपनी को बने हुए 82 साल हो गए हैं. हाल एक सरकारी कंपनी है जो एरोस्पेस और रक्षा के क्षेत्र में काम करती है. कंपनी का मुख्यालय बेंगलुरु में है. भारत ही नहीं, पूरी दुनिया में हाल का नाम है जो कि सबसे पुरानी सबसे बड़ी एरोस्पेस-डिफेंस कंपनियों में एक है. एचएएल या हाल ने 1942 की शुरुआत में भारतीय वायु सेना के लिए हार्लो पीसी-5, कर्टिस पी-36 हॉक और वुल्टी ए-31 वेंजेंस के लाइसेंस प्रोडक्शन के साथ एयरक्राफ्ट बनाने का काम शुरू किया.

एचएएल के पास अभी 11 रिसर्च और डेवलपमेंट (आर एंड डी) सेंटर हैं और पूरे भारत में फैले 4 प्रोडक्शन यूनिट के तहत 21 मैन्युफैक्चरिंग सेंटर हैं. एचएएल का प्रबंधन भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय के जरिये किया जाता है और भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त निदेशक मंडल इसका काम देखता है. एचएएल वर्तमान में लड़ाकू जेट, हेलिकॉप्टर, जेट इंजन और समुद्री गैस टरबाइन इंजन, एवियोनिक्स, सॉफ्टवेयर विकास, स्पेयर सप्लाई, ओवरहालिंग और भारतीय सैन्य विमानों के अपग्रेडेशन के डिजाइन और निर्माण में शामिल है.

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