
हल्द्वानी: नागरिक संशोधन कानून को लेकर पूरे देश में जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं. जेएनयू और जामिया यूनिवर्सिटी में छात्रों पर पुलिसिया कार्रवाई को लेकर भी विरोध देखने को मिल रहा है.
देवभूमि में भी नागरिकता संसोधन कानून को लेकर अलग-अलग मत सामने आ रहे हैं. जहां संत समाज ने इस कानून का समर्थन किया है. वहीं, पीपुल्स फोरम से जुड़े लोग इसे मोदी सरकार की तानाशाही करार दे रहे हैं.
देहरादून में विभिन्न संगठनों से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जेएनयू और जामिया में हुई लाठीचार्ज के खिलाफ नाराजगी व्यक्त की है. प्रदर्शनकारियों की मांग है कि केंद्र सरकार दोषी पुलिस अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करे.
सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि मोदी सरकार के दमनकारी तानाशाही फैसलों के चलते पूर्वोत्तर के अलावा राजधानी दिल्ली समेत उत्तर भारत में भी आक्रोश देखने को मिल रहा है.
जिसके खिलाफ आम जनता और छात्र सड़क पर उतरकर प्रदर्शन कर रहे हैं. उनका कहना है कि कश्मीर से लेकर मेघालय और दिल्ली में एनआरसी और सीएए का विरोध कर रहे छात्रों और नागरिकों पर जो पुलिसिया कार्रवाई की गई है. वो लोकतंत्र में नाकाबिले बर्दाश्त है.
वहीं, हरिद्वार में जहां एक ओर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने नागरिकता संसोधन कानून को लेकर हाथों में तख्तियां लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया. उधर, दूसरी ओर संत समाज ने इस कानू का स्वागत किया है.
संतों का कहना है कि इस देश का विभाजन 1947 में धर्म के आधार पर हुआ और भारत में रहने वाले मुस्लिम समुदाय ने पाकिस्तान जाना स्वीकार किया.
उस समय जो पाकिस्तान में हिंदू थे उनकी संख्या काफी अधिक थी, लेकिन अब संख्या काफी कम हो गई है. ऐसे ही अफगानिस्तान बांग्लादेश आदि में भी हुआ है. इसीलिए वह मोदी सरकार के पक्ष में खड़े हैं.