
देहरादून: उत्तराखंड के जंगलों में आग का कहर जारी है. अब इसी अग्नि तांडव को लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने वन विभाग के अधिकारियों के साथ बैठक ली है. सीएम धामी ने सचिवालय में जंगल की आग की रोकथाम को लेकर देहरादून में अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान सीएम ने जंगल की आग से हुए नुकसान का आकलन करने के दिए निर्देश एवं वनाग्नि को रोकने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश अधिकारियों को दिया है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि वनाग्नि को रोकने के लिए शीतलाखेत (अल्मोड़ा) मॉडल को अपनाया जाए. शीतलाखेत के लोगों ने जंगलों और वन संपदा को आग से बचाने की शपथ ली है. उन्होंने संकल्प लिया कि वे पूरे फायर सीजन में वे अपने खेतों में कूड़ा और कृषि अवशेष नहीं जलायेंगे. इस क्षेत्र में ग्रामीणों, महिला मंगल दल और युवक मंगल दल ने ओण दिवस के रूप में जंगल बचाओ, पर्यावरण बचाओ की शपथ ली. वनाग्नि को रोकने के लिए दीर्घकालिक एवं अल्पकालिक दोनों योजनाएं बनाई जाएं. दीर्घकालिक योजनाओं के लिए अनुसंधान से जुड़े संस्थानों एवं विश्वविद्यालयों से समन्वय स्थापित कर योजना बनाई जाए. इकोनॉमी और इकोलॉजी का समन्वय स्थापित करते हुए कार्य किए जाएं.
आंकड़ों पर नजर: अब जानिए कि उत्तराखंड में पिछले 12 सालों के दौरान वनाग्नि की घटनाएं किस रूप में देखने को मिलीं. रिकॉर्ड बताते हैं कि हर तीसरे या चौथे साल में जंगलों में लगने वाली आग का ग्राफ बढ़ा है और समय के साथ साथ वनाग्नि की घटनाएं नया रिकॉर्ड बना रही हैं. पिछले 12 सालों में 13,500 से ज्यादा वनाग्नि की घटनाएं हुईं हैं, जबकि 25 हजार हेक्टेयर से ज्यादा जंगल आग से प्रभावित हुए हैं.
इस साल 2022 में 15 फरवरी से अब तक यानी करीब 2 महीने में ही अब तक 1,443 आग की घटनाएं सामने आ चुकी हैं. जिसमें 2432 हेक्टेयर जंगलों को नुकसान हुआ है. आर्थिक रूप से इस नुकसान को करीब ₹62 लाख की आर्थिक क्षति माना जा रहा है.