
उत्तराखंड में विधानसभा चुनाव की घोषणा होना बाकी है। आचार संहिता लागू होने में अभी समय है। इसके बावजूद चुनाव प्रचार के मामले में राजनीतिक दल अभी से दो-दो हाथ कर लेना चाहते हैं। भाजपा जहां केंद्रीय मंत्रियों को चुनाव प्रचार में उतार चुकी है। वहीं कांग्रेस ने अपने प्रांतीय नेताओं को मैदान में उतार दिया है। एक दिन में कई स्थानों पर जनसंपर्क और सभाओं का सिलसिला तेज करते हुए हेलीकाप्टर की सेवाएं ली जा रही हैं। नेताओं के सघन हवाई दौरों ने चुनावी समर को रोमांचक बना दिया है।
उत्तराखंड में 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा करो या मरो के अंदाज में एक-दूसरे के खिलाफ ताल ठोक रही हैं। महत्वपूर्ण बात ये है कि राजनीतिक दल चुनाव प्रचार में अभी से पूरी ताकत झोंक रहे हैं। खासतौर पर कांग्रेस चुनाव प्रचार में सत्तारूढ़ दल भाजपा को किसी भी सूरत में आगे निकलने नहीं देना चाहती। चुनाव को लेकर भाजपा की पुख्ता सांगठनिक तैयारी के जवाब में कांग्रेस भी गली-मुहल्लों में दस्तक दे रही है। राहुल गांधी की 16 दिसंबर की रैली के बाद कांग्रेस प्रचार युद्ध तेज कर चुकी है।
आचार संहिता से पहले ही युद्ध तेज
कांग्रेस ने भी दूरदराज तक मंत्रियों की पहुंच बढ़ने के बाद पलटवार करते हुए प्रदेश के अपने शीर्ष नेताओं को प्रचार युद्ध के मोर्चे पर तैनात किया है। दरअसल चुनाव आचार संहिता के बाद दलों की गतिविधियां निर्वाचन आयोग की सीधी निगरानी में रहेंगी। इसे देखते हुए ही कांग्रेस ने पूरे प्रदेश में चुनाव अभियान तेज किया है। आचार संहिता लागू होने से पहले पूरे प्रदेश में व्यापक जनसंपर्क का एक चरण पूरा किया जाएगा। कोशिश ये भी की जा रही है कि सत्तारूढ़ दल से पहले दूरदराज में पहुंच कायम की जाए।