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बागेश्वर के भवान सिंह ने कीवी की खेती को बनाया व्यवसाय की नई पहचान

बागेश्वर जिले के सामा गाँव में रहने वाले 72 वर्षीय भवान सिंह ने भी कुछ ऐसा ही किया। साल 2009 में एक सरकारी स्कूल के हेड मास्टर की पोस्ट से रिटायर हुए, भवान सिंह ने रिटायरमेंट के बाद कीवी की खेती (Kiwi farming) शुरू की और एक किसान के तौर पर अपनी नयी पहचान बनायी।

उन्होंने कीवी की खेती (kiwi farming) के बारे में सभी जानकारियां जुटाई। हिमाचल प्रदेश से वापस आते हुए, वह कीवी के तीन-चार पौधे अपने साथ ले आये। तीन-चार सालों में ये कीवी के पौधे तैयार हो गए और इन पर फल भी लगने लगे। इस सफलता के बाद, भवान सिंह ने कीवी की खेती (kiwi farming) में आगे बढ़ने का फैसला किया। साल 2008 में, उन्होंने हिमाचल से कीवी के कुछ और पौधे लाकर अपने खेतों में लगा दिए। रिटायरमेंट के बाद, वह अपना पूरा समय कीवी की खेती (Kiwi farming) में देने लगे।

लगाए हैं 600 कीवी के पौधे: 

भवान सिंह बताते हैं कि उन्होंने लगभग डेढ़ हेक्टेयर में 600 कीवी के पौधे लगाए हैं। इनमें से लगभग 350 पौधे फल देते हैं और अन्य अभी पूरी तरह से विकसित नहीं हुए हैं। क्योंकि उन्होंने अपनी पूरी जमीन पर, एक बार में नहीं, बल्कि थोड़े-थोड़े कर के कई बार में, कीवी के ये पौधे लगाये हैं।

उन्होंने कहा, “मैंने सोचा कि एक बार में जोखिम उठाने से अच्छा है कि धीरे-धीरे आगे बढ़ा जाए। इसलिए, मैंने शुरुआत में लगभग 100 ही पौधे लगाए और हर साल इनकी संख्या बढ़ाता रहा। अब मुझे कीवी की खेती की अच्छी जानकारी हो गयी है। साथ ही, अब मैं कीवी के पौधे भी तैयार करता हूँ।”

वह आगे कहते हैं कि समुद्र तल से 1000-2000 मीटर की ऊंचाई वाले स्थानों पर, कीवी उगाई जा सकती है। इसकी कई किस्में होती हैं, जिनका आकार और स्वाद अलग-अलग हो सकता है। वह बताते हैं कि कीवी को कटिंग और बीज, दोनों तरीकों से उगाया जा सकता है। हालांकि, दोनों ही तरीकों में बहुत ध्यान से काम करना पड़ता है। क्योंकि, इसके पौधे इतनी आसान से नहीं पनपते हैं। अगर कोई किसान अपने यहां कीवी लगाना चाहता है, तो उसे दो बातों का ख़ास ध्यान रखना चाहिये। एक- लाइन में कीवी के पौधों के बीच की दूरी, पांच से छह मीटर होनी चाहिए और दो – लाइन के बीच की दूरी, चार से पांच मीटर होनी चाहिए।

फलों के आकार के अनुसार मिलता है मूल्य:

भवान सिंह कहते हैं कि बाजार में फलों के आकार के हिसाब से ग्रेडिंग की जाती है। बड़े आकार की कीवी के लिए, उन्हें 150 रुपए प्रति किलो तक का मूल्य मिल जाता है। वहीं मध्यम आकार की कीवी के लिए, उन्हें 80 से 100 रुपए प्रतिकिलो तक का मूल्य मिलता है। छोटे आकार की कीवी को ज्यादातर प्रोसेसिंग इंडस्ट्री में में इस्तेमाल किया जाता है। प्रोसेसिंग इंडस्ट्री से, उन्हें 40-50 रुपए प्रति किलो का मूल्य मिलता है। वह कहते हैं कि उनके अपने खेतों से, उन्हें सालाना लगभग 100-115 क्विंटल तक फल मिलते हैं।

वह कहते हैं कि उन्होंने पिछले साल आठ हजार कीवी के पौधे तैयार किए थे, जिससे उन्हें लगभग दस लाख रुपए की कमाई हुई। इसलिए, वह किसानों से अनुरोध करते हैं कि शुरुआत में चाहे दो-चार ही सही, लेकिन अपने खेतों पर कीवी जैसे फलों के पेड़-पौधे अवश्य लगाएं। इससे उनकी आय दुगुनी होने में मदद मिलेगी। यक़ीनन, भवान सिंह हम सबके लिए एक प्रेरणा हैं।

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