
उत्तराखंड (Uttarakhand ) में भारतीय जनता पार्टी (Uttarakhand BJP) अभी तक राज्य के नए मुख्यमंत्री के नाम पर मुहर नहीं लगा सकी है. लेकिन राज्य में सभी समीकरणों को साधने में मुख्यमंत्री पद के दावेदार लगे हैं. फिलहाल राजनीतिक चर्चाओं में कार्यवाहक मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी (Pushkar Singh Dhami) को इस दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा है. जबकि कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज, डॉ धन सिंह रावत, पूर्व सीएम डॉ रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट, प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक के साथ ही राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है. वहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के अचानक दिल्ली पहुंचने से राज्य की सियासत गर्मा गई है. क्योंकि कोश्यारी को सीएम धामी का राजनैतिक गुरु माना जाता है.
फिलहाल राज्य में फिर से मुख्यमंत्री की कुर्सी के दावेदारों में पुष्कर सिंह धामी का नाम सबसे आगे माना जा रहा है. वहीं धामी भी अपने समीकरणों को साधने में लगे हुए हैं और गुरुवार को देहरादून लौटकर वे सीधे पूर्व केंद्रीय मंत्री और सांसद डॉ रमेश पोखरियाल निशंक के आवास पर पहुंचे. हालांकि दोनों ही नेताओं ने इस बैठक को शिष्टाचार का बताया और कहा कि होली का त्योहार है. इसलिए धामी बधाई देने पहुंच हैं. माना जा रहा है कि चुनाव में अहम भूमिका निभाने वाले पार्टी के दो प्रमुख नेताओं ने भी धामी के पक्ष में संकेत दिए हैं.
कोश्यारी की दिल्ली पहुंचने पर गर्माई सियासत
वहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल और राज्य के पूर्व सीएम भगत सिंह कोश्यारी के अचानक दिल्ली पहुंचने के बाद राज्य की सियासत गर्मा गई है. क्योंकि कोश्यारी राज्य के पूर्व सीएम हैं. वहीं उनकी बीजेपी आलाकमान के साथ ही संघ के पदाधिकारियों से अच्छे संबंध हैं. ये भी कहा जाता है कि राज्य में धामी को सीएम बनाने में कोश्यारी की अहम भूमिका रही है. लिहाजा उनके सियासी हलचल के बीच दिल्ली पहुंचने को लेकर कई तरह से सवाल उठ रहे हैं. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक कोश्यारी का कहना है कि वह अपने निजी काम से दिल्ली आए हैं और सियासी चर्चाओं को उन्होंने बेबुनियाद बताया.
दिल्ली में जारी है नेताओं की आलाकमान से बैठकों का दौर
फिलहाल दिल्ली में राज्य के नेताओं की परिक्रमा जारी है. वहीं धामी के पक्ष में कई नेता आलाकमान से मुलाकात कर चुके हैं. राज्य के पूर्व मंत्री गणेश जोशी के साथ ही प्रोटेम स्पीकर वंशीधर भगत भी आलाकमान से मिल चुके हैं. जबकि धामी खुद आलाकमान से मुलाकात कर चुके हैं.