
हिंदू धर्म में किसी भी कार्य को शुभ दिन, शुभ तिथि, शुभ मुहूर्त आदि को देखकर किया जाता है. इन सभी चीजों के बारे में पता लगाने के लिए पंचांग (Panchang) की आवश्यकता पड़ती है. जिसके माध्यम से आप आने वाले दिनों के शुभ एवं अशुभ समय के साथ सूर्योदय, सूर्यास्त, चन्द्रोदय, चन्द्रास्त, ग्रह, नक्षत्र आदि के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त कर सकते हें. आइए पंचांग के पांच अंगों – तिथि, नक्षत्र, वार, योग एवं करण के साथ राहुकाल, दिशाशूल (Dishashool), भद्रा (Bhadra), पंचक (Panchank), प्रमुख पर्व आदि की महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं.
भद्रा और राहुकाल का समय
हिंदू धर्म में किसी भी कार्य की सफलता के लिए उसे करने से पहले शुभ और अशुभ समय का विचार किया जाता है। इसके लिए लोग अक्सर पंचांग की मदद लेते हैं। पंचांग के अनुसार जिस राहुकाल के दौरान किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को करने से बचना चाहिए वो आज प्रात:काल 10:42 से दोपहर 12:11 बजे तक रहेगा। ऐसे में आज राहुकाल के दौरान किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को करने से बचना चाहिए।
किधर रहेगा दिशाशूल
सनातन परंपरा में किसी भी कार्य में सफलता पाने के लिए सिर्फ शुभ समय ही नहीं शुभ दिशा का विचार करने की परंपरा चली आ रही है। पंचांग के अनुसार शुक्रवार के दिन पश्चिम दिशा में दिशाशूल होता है। मान्यता है कि शुक्रवार को पश्चिम दिशा की ओर जाने पर कार्य में अड़चन आने की आशंका बनी रहती है। आज यदि आपको पश्चिम दिशा में जाना बहुत जरूरी हो तो दिशाशूल से बचने के लिए व्यक्ति को घर से निकलते समय जौ खाकर निकलना चाहिए।
30 सिंतबर 2022 का पंचांग
(देश की राजधानी दिल्ली के समय पर आधारित)
विक्रम संवत – 2079, राक्षस
शक सम्वत – 1944, शुभकृत्