
रानीखेत : सड़कें ग्रामीण विकास की कुंजी मानी जाती हैं। मगर यही कुंजी अब सिरदर्द भी बन गई है। खस्ताहाल चौकुनी दुगौड़ा रोड इसका ज्वलंत उदाहरण है। अत्याधुनिक आरबीआइ-81 यानी फाइबर आधारित सीमेंट तकनीक से तैयार जनपद की इस अनूठी सड़क की मरम्मत तो दूर इसके गड्ढे कैसे भरे जाएं, खुद विभाग भी नहीं समझ पा रहा। हालांकि समाधान तलाशने को सरकार ने जीबी पंत कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर के विज्ञानियों को पत्र लिख मदद मांगी, पर वहां से भी जवाब नहीं मिला है। इधर ग्रामीणों का धैर्य जवाब देने लगा है। यह रोड वर्ष 2000 में तत्कालीन अटल सरकार में मंजूर हुई थी। मरम्मत के नाम पर करोड़ों खर्च होने के बावजूद खस्ताहाल होने से 17 गांव व तोकों की लगभग छह हजार की आबादी त्रस्त है।
हिचकोलों से परेशान बिष्टकोटुली गांव निवासी भूमि संरक्षण विभाग से सेवानिवृत्त आनंद सिंह बिष्ट ने सीएम पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिख समाधान की गुहार लगाई है। साथ में ग्राम प्रधान निशा डौर्बी, राधा देवी दुगौड़ा, विशन सिंह गुढोली, गोपाल सिंह कार्की, भूपाल सिंह, ऊथप सिंह कार्की आदि भी शामिल हैं।
भारत सरकार ने नए नए प्रयोग किए। सीमेंट सायल स्टेबलशमेंट आदि तकनीक अपनाई। आरबीआइ-81 फाइबर आधारित तकनीक है, जिसमें सीमेंट व रसायन मिक्स होता है। ठेकेदार से मरम्मत कराई पर फाइबर में डामर नहीं टिक रहा। रिपेयरिंग में क्या सामग्री इस्तेमाल करें, भारत सरकार ने लाकडाउन से पूर्व पंत विवि को लिखा था। जवाब नहीं मिला है। अब विज्ञानी ही बताएंगे कि मरम्मत कैसे होगी। विफलता की वजह भी पता लगेगी। विज्ञानी रिपोर्ट के बाद ही मरम्मत शुरू हो सकेगी। वैसे मेरा स्थानांतरण ऊधम सिंह नगर हो गया है।
– केसी आर्या, ईई, पीएमजीएसवाइ