
KPMG की रिपोर्ट कहती है कि भारत में OTT प्लेटफॉर्म्स का कारोबार 2016 से 2021 के बीच 30% के कंपाउंड रेट से बढ़ा। 2016 में भारत में OTT का बाजार करीब 7600 करोड़ रु. का था जो 2021 में 29 हजार करोड़ रु. के पार पहुंच गया। 2016 में जियो की इंटरनेट क्रांति ने हर हाथ में मोबाइल दिया तो 2020 के लॉकडाउन ने सबको खाली समय दे दिया…
OTT के लिए दोनों ही चीजें वरदान साबित हुईं, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इसी दौरान यानी 2016 से 2020 के दौरान पोर्नोग्राफिक यानी अश्लील कंटेंट फैलाने के मामले 1200% से ज्यादा बढ़ गए।
2021 में नए IT कानून के बाद OTT प्लेटफॉर्म्स लगातार ये दावा कर रहे हैं कि वे अपना कंटेंट रेगुलेट कर रहे हैं। मगर यह रेगुलेशन मुख्यत: सिर्फ इस घोषणा तक सीमित है कि कौन सा कंटेंट किस उम्र के लोगों के लिए सही है। कुछ बड़े प्लेटफॉर्म्स से जुड़े अधिकारी यहां तक कहते हैं कि यह सख्ती भी सिर्फ बड़े प्लेयर्स पर ही लागू है। कई छोटे प्लेटफॉर्म ‘इरोटिक कंटेंट’ के नाम पर पोर्न परोस रहे हैं और बच भी जाते हैं।
छोटे OTT प्लेटफॉर्म कितने हैं यह पता करने का कोई तरीका अभी नहीं है। यह प्लेटफॉर्म क्या दिखाते हैं यह तभी सुर्खियों में आता है जब कोई शिकायत होती है। उत्तेजक कंटेंट तक यह आसान पहुंच सायबर वर्ल्ड में यौन अपराध भी बढ़ा रही है। यौन उत्पीड़न के इरादे से किए गए साइबर क्राइम 2016 से 2020 के बीच 479% बढ़ गए। समझिए, बढ़ते यौन अपराधों और पोर्न के बढ़ते बाजार में OTT का कितना प्रभाव है।
पोर्न की बढ़ती पहुंच के लिए OTT दो तरह से जिम्मेदार…
- भारत में OTT प्लेयर्स के नाम पर बमुश्किल 20 बड़े प्लेयर्स मौजूद हैं। मगर इनके अलावा छोटे OTT प्लेटफॉर्म अभी कितने हैं इसका अंदाज लगा पाना मुश्किल है।
- पिछले वर्ष अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति राज कुंद्रा जिस ‘हॉटशॉट’ प्लेटफॉर्म के जरिये पोर्न बेचने के मामले में गिरफ्तार हुए, वह एक OTT ही है।
- ऐसे छोटे OTT प्लेटफॉर्म अपने प्रचार में पैसा खर्च नहीं करते हैं। एक वीडियो स्ट्रीमिंग ऐप डेवलप कर गूगल प्ले स्टोर पर रजिस्टर किया जाता है।
- इसके विवरण में सिर्फ मूवीज की स्ट्रीमिंग का जिक्र कर रेगुलेशन्स को भी चकमा दिया जा सकता है। ऐप डाउनलोड फ्री होता है और कुछ मूवीज की फ्री स्ट्रीमिंग भी होती है।
- इसके बाद यूजर को प्रीमियम कंटेंट के नाम पर सब्सक्रिप्शन दिलाया जाता है। सब्सक्रिप्शन के बाद ही यूजर को असली कंटेंट परोसा जाता है।
- पोर्न कंटेंट बनाने का खर्च कम है। इसलिए ये प्लेटफॉर्म कम खर्च में आसानी बन जाते हैं। ये प्रचार के लिए भी वर्ड ऑफ माउथ पर निर्भर होते हैं।
- एक रिपोर्ट के मुताबिक 2020 में लॉकडाउन के दौरान सेक्स वर्कर्स के लिए पोर्न क्लिप्स में काम करना आय का बड़ा जरिया बना है।
- इन क्लिप्स में काम करने वाली महिलाओं को 10 हजार से 20 हजार रुपए तक भुगतान किया जाता है। मगर उन्हें नहीं पता होता कि यह कंटेंट कहां दिखाया जाएगा।