संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा के जरिये होगा केंद्रीय विश्वविद्यालयों में एडमिशन

भारत सरकार ने बीते दिनों एक नीतिगत निर्णय लेते हुए तय किया कि केंद्रीय विश्वविद्यालयों में स्नातक स्तर पर नामांकन अब एक साङो प्रवेश परीक्षा के माध्यम से ही होगा। यह निर्णय अकादमिक सत्र 2022-23 से ही लागू होगा। इसका अर्थ यह हुआ कि अब न तो विश्वविद्यालय स्तर पर अलग-अलग प्रवेश परीक्षाएं होंगी और न ही बोर्ड अंक के आधार पर नामांकन होगा। बदली हुई व्यवस्था के अंतर्गत एनटीए यानी नेशनल टेस्टिंग एजेंसी ‘संयुक्त विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षा’ (सीयूईटी) यानी कामन यूनिवर्सिटी एंट्रेस टेस्ट का आयोजन करेगी और इसी आधार पर केंद्रीय विश्वविद्यालयों के स्नातक पाठ्यक्रमों में नामांकन होगा।
इसमें रोचक यह भी है कि केंद्र सरकार ने तो इसे केवल केंद्रीय विश्वविद्यालयों के लिए ही अनिवार्य किया था, किंतु कई अन्य सरकारी व निजी विश्वविद्यालयों ने भी इसे अपना लिया है। अगले साल तक 500 से भी अधिक विश्वविद्यालयों को इससे जोड़ने का लक्ष्य रखा गया है। इससे इस नीति की सार्थकता का अनुमान लगाया जा सकता है। आखिर इस नीति से क्या कुछ बदलाव होने वाला है? और यह बदलाव कितना सार्थक है?