
उत्तराखंड में बिजली आपूर्ति व्यवस्था सामान्य बनी हुई है। लेकिन, सर्दियों में जल विद्युत परियोजनाओं से उत्पादन में गिरावट आ गई है। ऐसे में ऊर्जा निगम के समक्ष मांग के अनुरूप विद्युत उपलब्धता बनाए रहने के लिए अतिरिक्त प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे में अब थर्मल प्लांट से उत्पादन बढ़ाने पर फोकस किया जा रहा है।
इसी साल कुछ माह पूर्व देश में कोयला संकट के कारण थर्मल पावर प्रोजेक्ट संकट में आ गए थे, इस दौरान उत्तराखंड में जल विद्युत परियोजनाएं बेहद मददगार साबित हुई थीं। उत्तराखंड को बेहद कम बिजली केंद्रीय पूल से ऊंचे दामों पर खरीदनी पड़ी। हालांकि, अब सर्दियों में जल विद्युत परियोजनाओं से विद्युत उत्पादन बेहद गिर गया है। अब थर्मल पावर प्रोजेक्ट के अलावा अन्य स्रोतों पर ज्यादा फोकस किया जा रहा है। पावर सिस्टम आपरेशन कारपोरेशन (उत्तरी क्षेत्र) के आंकड़ों के मुताबिक उत्तराखंड अपने संसाधनों से सामान्य दिनों में 27 से 28 मिलियन यूनिट बिजली रोजाना तैयार करता है।
इसके सापेक्ष उत्तराखंड की बिजली जरूरत की बात करें तो यह रोजाना 39-43 मिलियन यूनिट के करीब है। 27-28 एमयू बिजली उत्पादन के अलावा सेंट्रल पूल से हमें रायल्टी और राज्य कोटा के तहत नार्दर्न रीजन की कुल बिजली का 16.5 फीसद बिजली नियत है। ऐसे में यह प्रतिदिन करीब 18 से 24 मिलियन यूनिट रहती है। यदि राज्य के उत्पादन और सेंट्रल पूल से मिलने वाली बिजली को जोड़ दें तो यह 45 एमयू के आसपास होती है।
लेकिन, अन्य राज्यों के साथ बैंकिंग के तहत उत्तराखंड के हिस्से की 7.0 से 10 एमयू बिजली सेंट्रल पूल पहले ही काट लेता है। ऐसे में नियत कोटे से बैंकिंग की बिजली काटकर बची हुई बिजली उत्तराखंड को प्रदान की जाती है। ऐसे में अक्सर यह बिजली मांग से कम पड़ जाती है। जिसके लिए कुछ बिजली उत्तराखंड सेंट्रल पूल से और खरीदता है। हालांकि, इन दिनों उत्पादन कम होने के बावजूद राहत की बात यह है कि खपत भी घट गई है। लेकिन, प्रदेश में अब थर्मल पावर प्लांट से एक से दो मिलियन यूनिट बिजली उपलब्ध कराने की कवायद है। इसको लेकर सरकार ने निजी कंपनियों से भी वार्ता की योजना बनाई है।