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चीन को मुहंतोड़ जवाब, बॉर्डर पर S-400 तैनात करने की तैयारी में जुटा भारत

भारत ने एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम (Missile Defence System) को तैनात करने पर काम शुरू कर दिया है. यह रूस (Russia) में निर्मित उन्नत सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल सिस्टम है. जिसकी पहली यूनिट अप्रैल में ऑपरेशनल हो जाएगी. इस पूरे प्रोजेक्ट को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के नेतृत्व वाली सरकार ने ज्यादा जानकारी साझा नहीं की है. लेकिन मामले की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि चीन के खतरे से निपटने के लिए सभी पांच यूनिट को जरूरी क्षेत्रों में तैनात किया जाएगा.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, S-400 सिस्टम की सभी पांच यूनिट के अगले साल तक चालू होने की उम्मीद है. ये एक ऐसा मिसाइल सिस्टम है, जो 40 किमी और 400 किमी के बीच की दूरी पर दुश्मन के विमान या मिसाइल को मार सकता है. भारत 2018 में रूस के साथ हुई 5 बिलियन डॉलर की डील (S-400 Deal) के तहत इसे खरीद रहा है. दरअसल भारत और चीन के बीच मई 2020 से ही लद्दाख में सीमा पर तनाव बना हुआ है. इस मामले में 14 दौर की बैठक हो चुकी है लेकिन कोई समाधान नहीं निकल सका.

चीन ने भी तैनात किए हैं एस-400

चीन ने एलएसी पर नगारी गार गुंसा (डेमचोक के पास) और न्यिंगची (अरुणाचल प्रदेश के पास) में दो एस-400 सिस्टम तैनात कर दिए हैं, जबकि बाकी तीन हिंद प्रशांत के खतरे से निपटने के लिए तैनात किए गए हैं. इस बीच भारत पर अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा भी मंडरा रहा है. जो काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शंस एक्ट (CAATSA) के तहत लगाए जा सकते हैं. अमेरिका रूस से हथियार खरीदने वाले देशों पर इसके तहत प्रतिबंध लगाता है. उसने अपने नाटो के सहयोगी तुर्की पर भी प्रतिबंध लगाए हैं, क्योंकि उसने रूस से यही डिफेंस सिस्टम खरीदा था. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि भारत इन प्रतिबंधों से बच सकता है.

अमेरिका की बड़ी चिंता है चीन

इस समय अमेरिका की सबसे बड़ी चिंता चीन है. दोनों ही देशों के रिश्ते बेहद खराब दौर से गुजर रहे हैं. ऐसे में चीन के बढ़ते असर को रोकने के लिए वो भारत को प्रतिबंधों से छूट दे सकता है (CAATSA India). अमेरिका के ही कई सांसद इसपर अपनी राय दे चुके हैं. हाल ही में प्रतिबंध लगाने वाली इस प्रतिबंध नीति के समन्वयक के तौर पर नामित हुए जेम्स ओ’ब्रायन ने ऐसे संकेत दिए थे कि भारत पर प्रतिबंध नहीं लगाए जाएंगे. उन्होंने संतुलन बनाए रखने पर जोर दिया. विदेश विभाग के संयोजक के पद पर जेम्स ओ’ब्रायन की पुष्टि हुई है.

भारत को जरूरी पार्टनर बताया

ओ’ब्रायन से जब पूछा गया कि अमेरिका ने तुर्की के साथ जो किया, क्या वो भारत के संबंध में कोई चेतावनी या सबक है (US Curbs on India). इसपर उन्होंने कहा, दोनों स्थितियों की तुलना करना कठिन है. तुर्की ने नाटो का सहयोगी रहते हुए ऐसा किया है. वहीं भारत जरूरी पार्टनर है. और उसके रूस के साथ भी पुराने संबंध हैं. भारत भी अमेरिकी प्रतिबंधों को लेकर साफ कह चुका है कि वह किसी देश से हथियार खरीदता है, तो इसका फैसला करने का अधिकार उसे है.

शक्तिशाली रडार से लैस है एस-400

एस-400 सिस्टम की बात करें, तो इसमें शक्तिशाली रडार लगा हुआ है, जिसे हम डिफेंस सिस्टम का दिल कह सकते हैं. यह विभिन्न दिशाओं में कई लक्ष्यों का पता लगा सकता है और दुश्मन के लड़ाकू विमान, बमवर्षक या मिसाइल को हमले से पहले ही बेअसर कर सकता है. यह अलग-अलग रेंज वाली मिसाइलों का उपयोग करके दुश्मन के लिए खतरा पैदा कर सकता है (Why S 400 is Special). यह इतना उन्नत है कि इससे वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास हवाई अड्डों से उड़ान भरते चीनी लड़ाकू विमानों को ट्रैक करना आसान है. जिससे भारत किसी भी खतरे से वक्त रहते निपट सकता है.

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