उत्तराखंड में जमीनों की खरीद-फरोख्त की रजिस्ट्री पूरी तरह से पेपरलेस होने जा रही है. सरकार की ओर से इस संबंध में सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. ऐसे में कैबिनेट से अंतिम मंजूरी मिलने के बाद ये सुविधा मिलनी शुरू हो जाएगी.
ज्यादा जानकारी देते हुए उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रेमचंद्र अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में स्टांप एवं निबंधन विभाग के तहत लेख पत्रों की रजिस्ट्री के बाद स्कैंड कॉपी को कार्यालय में अनुरक्षित करने की व्यवस्था विद्यमान थी. मूल लेख पत्रों को पक्षकारों को वापस किए जाने की व्यवस्था को तकनीकी रूप से बेहतर किये जाने का सरकार ने निर्णय लिया है.
साथ ही कहा कि इसमें चरणबद्ध तरीके से सुधार के लिए पूरी व्यवस्था पेपर लेस किए जाने पर विचार किया जा रहा है, जिसमें पेपरलेस रजिस्ट्रेशन, आधार प्रमाणीकरण और वर्चुअल रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया अमल में लाई जाएगी. इसके लिए उत्तराखंड ऑनलाइन दस्तावेज रजिस्ट्रीकरण नियमावली- 2025 का प्रस्ताव बनाए जाने का सरकार की ओर से निर्णय लिया जा रहा है.
उन्होंने बताया कि इस व्यवस्था के लागू होने के बाद भी विलेखों में पंजीकरण के लिए पक्षकार अपने ही स्थान से लेखपत्रों को तैयार कर ऑनलाइन लिंक के जरिए प्रस्तुत कर सकेगा. स्टाम्प ड्यूटी एवं रजिस्ट्रेशन फीस का भुगतान भी ऑनलाइन माध्यम से कर सकेगा. पक्षकारों के पास यह सुविधा भी रहेगी कि सब रजिस्ट्रार कार्यालयों में स्वयं उपस्थित होकर या फिर वीडियो केवाईसी के जरिए दस्तावेज सत्यापन कर सकेंगे.
वित्त मंत्री ने कहा कि इसके बाद संबंधित सब रजिस्ट्रार भी विलेखों में दिए गए तथ्यों का परीक्षण करने के बाद डिजिटल हस्ताक्षर के जरिए प्रक्रिया पूरा करेंगे और व्हाट्सएप या ईमेल के जरिए तत्काल पक्षकार को भेजेंगे. इस प्रक्रिया को आधार प्रमाणीकरण से भी इंटरलिंक किया जाएगा. ताकि जन सुविधा के साथ-साथ पारदर्शिता को बढ़ावा मिले. साथ ही भ्रष्टाचार पर अंकुश लग सके. इस व्यवस्था के लागू होने से रजिस्ट्री प्रक्रिया में हो रहे फर्जीवाड़े को भी रोका जा सकेगा.