Friday, March 14, 2025
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निकाय चुनावों में गड़बड़ी की आशंका, सामाजिक कार्यकर्ता ने राष्ट्रपति से की जांच की मांग

सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने हाल में उत्तराखंड में हुए नगर निकाय चुनावों में अव्यवस्था और कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए इन अनियमितताओं को लोकतंत्र के लिए अशोभनीय बताया है। नौटियाल ने राष्ट्रपति मुर्मू को पत्र लिखकर हस्तक्षेप कर जांच की मांग है।

सामाजिक कार्यकर्ता अनूप नौटियाल ने राष्ट्रपति को चार पन्ने का विस्तृत पत्र और 15 खबरों के मीडिया डॉक्यूमेंट के साथ निकाय चुनावों में हुई तमाम तरह की गड़बड़ियों की ओर उनका ध्यान आकर्षित किया है। इसके साथ ही उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि वे तत्काल हस्तक्षेप करके चुनाव में हुई गड़बड़ियों की जांच करवायें, ताकि लापरवाही बरतने वाले अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जा सके और भविष्य में उत्तराखंड में किसी भी चुनाव में ऐसी स्थितियां पैदा न हों। इसी के साथ उन्होने जांच में दोषी पाए जाने पर राज्य चुनाव आयुक्त और सचिव की बर्खास्तगी की मांग भी की है।

अनूप नौटियाल ने अपने पत्र में नगर निकाय चुनावों में हुए कुप्रबंधन संबंधी 10 बिन्दुओं को प्रमुखता से उजागर किया है। उन्होंने कहा है कि देहरादून सहित पूरे राज्य में नगर निकाय चुनावों में मतदाता सूचियों में भारी गड़बड़ी थी। मतदाता सूचियों से अभूतपूर्व संख्या में नाम गायब थे। कई परिवार जो कई पीढ़ियों सें एक ही घर में रह रहे हैं, उनके नाम भी मतदाता सूची में नहीं थे। इसके साथ ही मतदाता सूचियों में बड़ी संख्या में लोगों के नाम गलत थे या बदल दिये गये थे। कई लोगों के नाम बिना उन्हें बताये दूसरी जगहों पर शिफ्ट कर दिये गये थे, जिससे मतदान केंद्रों पर भ्रम की स्थिति पैदा हो गई।

नौटियाल ने लिखा कुछ मामलों में नाबालिगों के नाम भी मतदाता सूची में दर्ज होने की बात सामने आई, जिससे संभावित मतदाता धोखाधड़ी की संभावना बढ़ गई। कुछ मतदान केन्द्रों पर मतदाता के पहुंचने से पहले ही उसके नाम का वोट डाल दिये जाने और मतदान प्रक्रिया बहुत धीमी गति से होने की शिकायत भी इस पत्र में की गई है और इसे लोकतंत्र के प्रति गंभीर अपराध बताया गया है। नौटियाल ने इस बात पर भी अपने पत्र में गंभीर चिन्ता जताई है कि चुनाव आयोग ने इस तरह की शिकायतों को उतनी गंभीरता से नहीं लिया, जितनी जरूरत थी।

अनूप नौटियाल ने राज्य चुनाव आयोग की वेबसाइट खस्ताहाल और अपडेट न होने की बात भी कही है और इसे उत्तराखंड राज्य चुनाव आयोग की विफलता बताया है। पत्र में राज्य में आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का जिक्र करते हुए कहा गया है कि यदि यही स्थिति रही तो राज्य में स्वतंत्र एवं निष्पक्ष पंचायत चुनाव कराना संभव नहीं होगा। इसलिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी जाएं। पत्र में कहा गया है कि केंद्रीय चुनाव आयोग ठोस तथ्यों और पारदर्शिता के साथ चुनाव कराने की बात करता है, लेकिन उत्तराखंड में इसका पालन नहीं होता।

नौटियाल ने राष्ट्रपति से चुनावों में चूक, दोहराव, गलत नाम और धोखाधड़ी जैसी अनियमितताओं की शिकायतों की जांच करवाने की मांग की है। उनका कहना है कि यह बात भी सामने आनी चाहिए कि मतदाता सूचियों को ठीक से अपडेट क्यों नहीं किया गया और पिछले चुनावों में रजिस्टर्ड होने के बावजूद मतदाताओं के नाम क्यों गायब थे। उन्होंने कहा यह जांच एक निष्पक्ष समिति द्वारा एक महीने की समय सीमा में पूरी की जानी चाहिए। जांच समिति में न केवल सरकारी अधिकारी, बल्कि स्वतंत्र विचार वाले शिक्षाविद्, राजनीतिक कार्यकर्ता, न्यायपालिका के सदस्य, मीडिया, गैर सरकारी संगठन और नागरिक समाज के लोग शामिल होने चाहिए।

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