प्रदेश की स्ट्रीट चिल्ड्रेन पॉलिसी बनकर तैयार है, जो मंजूरी के लिए आगामी अगस्त माह में कैबिनेट में आ सकती है। पहली बार बनाई जा रही इस नीति को मंजूरी मिली तो प्रदेश के लगभग 10 हजार सड़क पर गुजारा करने वाले बच्चों का पुनर्वास होगा।एक सर्वे में विभाग को देहरादून, हरिद्वार, ऊधमसिंह नगर और नैनीताल जिले में सड़क पर रहने वाले ऐसे करीब 10 हजार बच्चे मिले हैं। हालांकि, कुछ अन्य जिलों में भी इस तरह के बच्चे हैं, जो गिनती के हैं। महिला कल्याण निदेशालय ने प्रदेश में स्ट्रीट चिल्ड्रेन पॉलिसी का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है। इसे मंजूरी के लिए विधायी में भेज भी दिया गया है। हालांकि, विधायी ने इसे कुछ भाषायी संशोधन के लिए विभाग को वापस कर दिया है।
नीति बनने में हुई कुछ लेटलतीफी
इस टिप्पणी के साथ कि अब भाषा को सरल करने के साथ भाषायी गल्तियों को दुरुस्त कर दोबारा दें। उधर, इस बाबत विभागीय अधिकारियों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद हर राज्य में सड़क पर रहने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए यह नीति बननी है। प्रदेश में यह नीति बनने में कुछ लेटलतीफी हुई है। इसकी वजह अफसर लोकसभा चुनाव को इसकी वजह बता रहे हैं। लेकिन, नीति को लेकर अब सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। नीति बनाने से पहले सभी जिलों में इस तरह के बच्चों का सर्वे कर लिया गया है।