उत्तराखंड परिवहन निगम ने 100 नई बसें खरीदी हैं। इन बसों का डिजाइन केंद्रीय सड़क परिवहन संस्थान (सीआईआरटी) ने तैयार किया है। यात्रियों की सुरक्षा के लिए बसों का ऑटो शोध उद्योग मानक प्रमाणन भी कराया गया है। इसका उद्देश्य दुर्घटना के दौरान क्षति को कम करना है। गोवा में तैयार ये बसें अब देहरादून पहुंचने लगी हैं। देहरादून के ट्रांसपोर्ट नगर वर्कशॉप में 11 बसों की खेप पहुंची है। जिन्हें रजिस्ट्रेशन के बाद पर्वतीय रूटों पर संचालन शुरू किया जाएगा।
यूटीसी की नई बसों में कई बदलाव किए गए हैं। जिन्हें पहाड़ी रूट के अनुकूल बनाया गया है जिससे सफर और भी आरामदायक औरसुरक्षित होगा। इन बसों में हिल एसिस्ट सिस्टम लगाया गया है, इससे बस जब खड़ी चढ़ाई पर खड़ी होगी तो 30 सेकेंड तक पीछे नहीं खिसकेगी। पहाड़ के चालकों से प्राप्त फीडबैक में जाम के दौरान जब बसों को ऊंची ढलान पर खड़ा किया जाता था, तो आगे बढ़ाते समय बसें पीछे खिसकने लगती थीं। इससे दुर्घटनाएं होती थीं। नई बसों का हिल एसिस्ट सिस्टम बस को 30 सेकेंड तक पीछे खिसकने से रोकेगा।
इसके अलावा बस के इंजन में आग की घटनाओं से बचने के लिए इसके अंदर अग्निशमन यंत्र लगाया गया है। इसका कनेक्शन बैटरी तक दिया गया है। इतना ही नहीं बसों के इंजन का पॉवर बढ़ाकर 186 एचपी किया गया है। बैटरी में स्लाइडिंग प्लेट भी लगाई गई है। इससे खराबी आने पर उस प्लेट को निकालकर बदला जा सकेगा। जबकि पुरानी बसों में ये इंतजाम नहीं थे।
पुरानी बसों में दो ही आपात खिड़कियां होती थीं, वहीं नई बसों में इनकी संख्या बढ़ाकर चार की गई है। इसके अलावा दो छत निकासी के भी इंतजाम किए गए हैं। इससे दुर्घटना के दौरान बस में सवार यात्रियों को जल्दी बाहर निकाला जा सकेगा। बसों में सीटें भी 32 से बढ़ाकर 38 की गई है। जबकि चौड़ाई और लंबाई सरकारी मानकों के अनुरूप क्रमश: 2.5 मीटर और 8.7 मीटर रखी गई है।
नई बसों में ये भी बदलाव
1- दिव्यांगों के लिए चिह्नित सीटों पर सहायता उपकरण रखने के इंतजाम किए गए हैं।
2- 10 किलोग्राम के दो अग्निशमन यंत्र
3- किनारे वाली सीटों में आर्म रेस्ट
4- यात्रियों के लिए मोबइल चार्जिंग प्वाइंट
5- सामान रखने के लिए परिचालक सीट के आगे और चालक सीट के पीछे जगह बनाई गई
6- बोतल हैगिंग और मैगजीन रैक के इंतजाम
7- यात्रियों का सामान न गिरे इसके लिए ऊपरी रैक को अब घुमावदार किया गया है।
