उत्तराखंड चारधाम यात्रा के दूसरे चरण के मद्देनजर 15 सितंबर से हेली सेवाओं का संचालन शुरू होने जा रहा है. इसके लिए आज शुक्रवार से हेली टिकट की बुकिंग शुरू हो गई है. ऐसे में नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण हेली सेवाओं को सुरक्षित बनाए जाने को लेकर व्यवस्थाओं को मुकम्मल कर रहा है. जिसकी मुख्य वजह यही है कि साल 2025 में कई हेली दुर्घटनाएं हुई हैं.
ऐसे में अब उत्तराखंड सरकार हेली सेवाओं को पूरी तरह से सुरक्षित करना चाहती है. जिसके तहत उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण ने तमाम पहल करनी शुरू कर दी हैं. ताकि इस साल जिस तरह तमाम हेली दुर्घटनाओं के मामले सामने आए हैं, उन तरह की दुर्घटनाओं पर लगाम लगायी जा सके. हेली यात्राओं को सुरक्षित करने के लिए प्राधिकरण की क्या हैं रणनीतियां, किन किन बिंदुओं पर है फोकस? आइए आपको बताते हैं.
उत्तराखंड राज्य में हेली कनेक्टिविटी को बढ़ावा देने के लिए राज्य सरकार लगातार पहल कर रही है. इसके तहत राजधानी देहरादून से प्रदेश के तमाम शहरों तक के लिए हेली सेवाओं का संचालन किया जा रहा है. इसके अलावा हर साल चार धाम यात्रा के दौरान बृहद स्तर पर हेली सेवाओं का संचालन किया जाता है. लेकिन समय-समय पर हेली दुर्घटनाओं के मामले भी सामने आते रहे हैं, जो सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती भी बनते रहे हैं. यात्रा करने वाले यात्रियों में डर कम हो, जिसको देखते हुए अब उत्तराखंड सरकार हेली यात्रा को सुगम और सुरक्षित बनाने की कवायद में जुट गई है. ताकि हेली सेवाओं के जरिए बाबा केदारनाथ धाम की यात्रा पर जाने वाले यात्री सुरक्षित दर्शन कर अपने गंतव्य को रवाना हों.
मुख्य रूप से नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण, हेली सेवाओं के बेहतर संचालन, पायलट से प्रॉपर कम्युनिकेशन, पायलट को मौसम की सटीक जानकारी देने और लगातार हेलीकॉप्टर की मॉनिटरिंग किए जाने को लेकर दो जगह पर ऑपरेशनल कंट्रोल रूम बना रहा है. इसके साथ ही मौसम की सटीक जानकारी के लिए नागरिक उड्यन विकास प्राधिकरण जल्द ही आईएमडी के साथ एमओयू भी साइन करने जा रहा है. ताकि मौसम की सटीक जानकारी उकाडा को मिल सके. यही नहीं, हेली सेवाओं के दौरान ऑपरेशनल कंट्रोल रूम में आईएमडी की टीम के साथ ही एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया की टीम भी मौजूद रहेगी, जो हेली ऑपरेशन को बेहतर करने के साथ ही जरूरी दिशा निर्देश भी देगी. यही नहीं, मौसम की सटीक जानकारी को लेकर चारधाम के समीप ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन भी लगाए जाने का निर्णय लिया गया है.
आशीष चौहान ने ये भी बताया कि वर्तमान समय में चार ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन मौजूद हैं. एक सीलोमीटर (Ceilometer) जल्द ही खरीदने जा रहे हैं. इसके अलावा अन्य स्थानों पर भी आईएमडी की ओर से ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और सीलोमीटर इंस्टॉल किया जाना है. इसके बाद बेहतर मौसम संबंधी जानकारियां मिल सकेंगी. हालांकि, ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन और सीलोमीटर को केदारनाथ, बदरीनाथ, हर्षिल, जानकीचट्टी या खरसाली में लगाए जाएंगे. इसके अलावा, मौसम साफ होने के बाद ही इसरो के साथ एक विजिट की जाएगी, ताकि जल्द से जल्द डिजिटल एलिवेशन मॉडल पर काम किया जा सके.