करोड़ों के उद्यान घोटाले में निदेशक डॉ. एचएस बवेजा के खुले काले कारनामे, सीबीआई जांच में चौंकाने वाले खुलासे – ETV Uttarakhand
उत्तराखंड

करोड़ों के उद्यान घोटाले में निदेशक डॉ. एचएस बवेजा के खुले काले कारनामे, सीबीआई जांच में चौंकाने वाले खुलासे

उद्यान घोटाले की सीबीआई जांच में तत्कालीन उद्यान निदेशक डॉ. एचएस बवेजा के कई कारनामे सामने आए हैं। आरोप है कि उन्होंने न केवल कुछ कंपनियों को लाभ पहुंचाने को नियम ताक पर रखे, बल्कि सरकारी दफ्तर के नवीनीकरण के नाम पर जो रकम जारी कराई, उसे दून स्थित अपने घर पर खर्च कर दिया। कृषि विज्ञान केंद्र (जीबी पंत कृषि एवं प्रौद्योगिक विवि पंतनगर) से जारी किया गया दस्तावेज भी जांच में जाली पाया गया।

सीबीआई की ओर से गुरुवार को दर्ज तीन मुकदमों में उद्यान घपले की परतें खुलकर सामने आईं। जांच में पता चला कि वित्त वर्ष 2021-22 में बवेजा ने उत्तराखंड में चार अंतरराष्ट्रीय महोत्सव करवाए। हर आयोजन पर 60 लाख से अधिक रुपये खर्च किए गए।जबकि, अंतराष्ट्रीय स्तर पर चार दिनी कार्यशाला/सम्मेलन के लिए प्रति आयोजन केवल 7.5 लाख रुपये का प्रावधान था। इस तरह चार आयोजनों पर 30 लाख की बजाय 2.40 करोड़ रुपये पानी की तरह बहा दिए गए।

आरोप है कि बवेजा ने बिना किसी पूर्व अनुमोदन या निविदा प्रक्रिया के सर्किट हाउस स्थित सरकारी कार्यालय का नवीनीकरण करवाया। उन्होंने सर्किट हाउस के सौंदर्यीकरण को करीब 10 लाख रुपये निकाले, लेकिन अनुमोदन मिलने के बाद उन्होंने इस धनराशि को देहरादून स्थित अपने निजी आवास में लगा दिया।

बवेजा पर 1.40 करोड़ रुपये की घूसखोरी का भी आरोप

सीबीआई ने अपनी जांच के आधार पर जो मुकदमा दर्ज किया, उसमें तत्कालीन निदेशक बवेजा पर 1.40 करोड़ की नगद रिश्वत लेने का भी आरोप है। सीबीआई की ओर से दर्ज मुकदमे में इसका जिक्र है कि बवेजा के कहने पर हरजीत सिंह निवासी राजपुर रोड देहरादून ने नितिन शर्मा से पांच किस्त में नगद 1.40 करोड़ रुपये की रिश्वत ली।

घटिया गुणवत्ता वाले पौधे और रेट तीन गुना ज्यादा 
सीबीआई ने जांच में पाया कि मैसर्स विनोद सीड्स के विनोद शर्मा ने तय 150 रुपये प्रति पौधे की बजाय 480 रुपये प्रति पौधे की दर पर सेब के घटिया पौधों की सप्लाई की। डिलीवरी के समय कई पौधे खराब हो चुके थे। पिथौरागढ़ के मुख्य उद्यान अधिकारी त्रिलोकी राय ने नर्सरी विकास अधिकारी रहते पौधों का नमूना परीक्षण नहीं कराया। मौसम उपयुक्त न होने पर पौधे रोपे गए।

Leave a Response