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अमेठी में 384 करोड़ के मुवावजा घोटाले में 7 डिप्टी कलेक्टर फंसे

अमेठी. अमेठी से गुजरने वाले नेशनल हाईवे-56 से जुड़े दो बाईपास के बहाने किए गए 3 अरब 84 करोड़ रुपये के घोटाले में मुसाफिरखाना तहसील में डिप्टी कलेक्टर रहे कई अफसर बुरी तरह फंस गए हैं. इन अफसरों को जमीन अधिग्रहण में तीन गुना से अधिक मुआवजा बांटने का दोषी पाया गाया है. जांच टीम ने पाया कि पूरा घोटाला एनएचएआई के अफसरों के साथ मिलकर किया गया. पूरे मामले पर अमेठी जिला अधिकारी राकेश कुमार मिश्र ने 4 अधिकारियों की टीम बनाकर जांच रिपोर्ट शासन को भेज दी है. डीएम की रिपोर्ट शासन को भेजने के बाद सभी डिप्टी कलेक्टरों की धड़कने भी बढ़ गई है.

केंद्र सरकार की स्वीकृति मिलने के बाद साल 2014 में एनएच-56 के चौड़ीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई थी. निर्माण से पहले एनएचएआई के अनुरोध पर राजस्व विभाग ने सड़क चौड़ीकरण के अलावा जगदीशपुर व मुसाफिरखाना में कस्बे में लोगों को जाम से राहत देने के लिए शहर के बाहर बाईपास का सर्वे किया. सर्वे के बाद अफसरों ने गलत तरीके से कृषि योग्य भूमि का मुआवजा सर्किल रेट का चार गुना निर्धारित करने के बजाय एनएच से सटी जमीन का सर्किल रेट कई गुना अधिक के बराबर बना दिया. मुआवजा निर्धारण व वितरण में गड़बड़ी के सामने आने के बाद अमेठी जिलाधिकारी ने पूरे मामले की जांच कराई तो 384 करोड़ का घोटाला सामने आया.

अमेठी जिला प्रशासन द्वारा जांच टीम की ओर से तैयार रिपोर्ट को शासन को भेजने के बाद मुआवजा निर्धारण व वितरण के दौरान मुसाफिरखाना तहसील में तैनात रहे डिप्टी कलेक्टरों की धड़कन बढ़ गई है. सूत्रों से जानकारी मिली है कि सभी अफसर खुद को पाक साफ साबित करने की कवायद में जुट गए हैं. तहसील में तैनात रहे सभी डिप्टी कलेक्टर अपने परिचितों से फोन पर मामले में पल-पल की अपडेट लेने में जुटे हुए हैं. इतना ही नहीं ये सभी डिप्टी कलेक्टर उच्च स्तर पर भी अपनी सांठ-गांठ बैठाने की कवायद कर रहे हैं.

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