
बागेश्वर : पर्वतीय महिलाओं के हौसले भी पहाड़ जैसे ही ऊंचे और अटल हैं। तभी तो गृहस्थी से लेकर खेती-बाड़ी तक में संतुलन साधकर निरंतर आगे बढ़ रही हैं। भले ही गांव के युवा पलायन को विवश हैं, लेकिन विपरीत हालात में भी महिलाओं ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा।
कुछ ऐसी ही कहानी है लीती गांव की 30 संघर्षशील महिलाओं की। इन्होंने होम स्टे को आजीविका का आधार बना हर हालात में खुद को साध लिया है। बात जिले की करें तो यहां कुल 114 होम स्टे अभी संचालित हैं, इनमें से अकेले लीती में ही 30 हैं। कोरोना के विकट हालात में भी जब सभी आर्थिक मंदी की चपेट में रहे, तब भी यहां के होम स्टे में रौनक रही। दिल्ली व एनसीआर में मल्टीनेशनल कंपनियों में काम करने वाले अधिकारियों ने यहां करीब चार महीने रहकर खुद को आइसोलेट करने के साथ ही काम भी किया। ऐसे में वे पहाड़ी वादियों में संक्रमण से बचे रहे और होम स्टे संचालित करने वाली महिलाओं को अच्छी आमदनी भी होती रही। अब इन महिलाओं से सीख लेते हुए गांव के 20 युवाओं ने भी बाहरी होटलों का काम छोड़ घर लौटकर होम स्टे के लिए आवेदन कर दिए हैं। ऐसे में सब सही रहा तो लीती की पहचान पूरे कुमाऊं में होम स्टे गांव के रूप में होगी।
लीती में गायत्री होम स्टे की संचालक धना कोरंगा बताती हैं कि उनके गांव में वर्ष 2018 से आपसी तालमेल से होम स्टे का संचालन किया जाता है। छह महिलाओं ने अपनी पूंजी से होम स्टे खोले हैं। एक महिला ने ऋण लेकर यह काम किया है। किसी होम स्टे में अधिक लोग आ गए तो दूसरे होम स्टे में भेजे जाते हैं। महीने में 10-12 सैलानी एक होम स्टे में आते हैं। ये महिलाएं कर रही हैं काम
लीती में धना कोरंगा गायत्री होम स्टे नाम से होम स्टे संचालित करती हैं। लक्ष्मी देवी आनंदी होम स्टे, कलावती देवी लक्ष्मी होम स्टे, नंदी देवी तुलसी होम स्टे, गंगा देवी गंगा होम स्टे, कलावती देवी भगवती होम स्टे, विजया देवी दीपक होम स्टे नाम से होम स्टे का संचालन करतीं हैं। 500 से 1000 रुपये प्रतिदिन के किराये पर होम स्टेट उपलब्ध हैं।
होम स्टे निर्माण के लिए 30 लाख रुपये तक ऋण दिया जाता है। 50 प्रतिशत अनुदान और ऋण के ब्याज में भी 50 प्रतिशत तक छूट है। अधिकतम 1.50 लाख रुपये तक का ब्याज विभाग देता है। शामा, लीती में 55 होम स्टे पंजीकृत हैं। जिले में 114 होम स्टे संचालित हो रहे हैं।
– कीर्ति चंद्र आर्य, जिला पर्यटन अधिकारी, बागेश्वर