
नई दिल्ली : तिहाड़ जेल संख्या तीन स्थित नशा मुक्ति केंद्र कैदियों को नशे की लत से मुक्ति दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जेल अधिकारियों का कहना है कि विगत तीन वर्षो में करीब 12 हजार कैदियों को यहां नशे की लत से मुक्ति दिलाई जा चुकी है। कोरोना महामारी के दौर भी यहां इस केंद्र ने अपना काम बखूबी किया।
योग्यता एवं रुचि देख कर कराई जाती है व्यावसायिक कोर्स
जेल प्रशासन के अनुसार नशे की लत से मुक्ति दिलाने के बाद कैदियों के पुनर्वास के लिए भी जेल में कई तरह की कोशिशें की जाती हैं। इसके तहत जेल में कैदियों के लिए उनकी योग्यता व रुचि को देखते हुए व्यावसायिक कोर्स कराए जाते हैं। जेल प्रशासन का प्रयास रहता है कि कैदी जब सजा पूरी करने के बाद जेल से निकले तो वह सम्मान के साथ अपना जीवनयापन करे और अपराध की दलदल में फिर न फंसे।
काउंसलिंग के दौरान पता चलता है कि नशे की लत का
जेल सूत्रों का कहना है कि कैदियों की काउंसलिंग के दौरान जब यह पता चलता है कि कैदी को नशे की लत है तो उसे नशा मुक्ति केंद्र लाया जाता है। स्वास्थ्य जांच के बाद उसका उपचार किया जाता है। इस दौरान दवा से अधिक कैदियों को काउंसलर की सलाह व कैदी की अपनी इच्छाशक्ति का फायदा पहुंचता है। केंद्र में नशे के आदी किसी भी कैदी के लिए उपचार के पहले एक सप्ताह की अवधि काफी चुनौती से भरी होती है। नशा उपलब्ध नहीं होने के कारण कई कैदी हिंसक व्यवहार करने लगते हैं। लेकिन धीरे धीरे वे लत से मुक्त हो ही जाते हैं।
योग एवं व्यायाम से संतुलित करते हैंं दिनचर्या
इसके लिए जेल में योगाभ्यास, व्यायाम व संतुलित दिनचर्या का सहारा लिया जाता है। समय समय पर उनकी स्वास्थ्य जांच की जाती है। ऐसे कैदी जिन्हें लगता है कि वे अब नशे की लत से मुक्त नहीं हो सकते, उनके लिए समय समय पर ऐसे सत्र आयोजित किए जाते हैं, जिसमें उन्हें खुद पर भरोसा करना सिखाया जाता है। बता दें, जेल संख्या तीन में स्थित नशा मुक्ति केंद्र वर्ष 2007 में खोला गया था। यह तिहाड़ के सेंट्रल अस्पताल परिसर का ही एक हिस्सा है।