
देहरादून: केंद्र सरकार के महत्वाकांक्षी कार्यक्रम मिशन अमृत सरोवर के अंतर्गत उत्तराखंड में एक एकड़ से कम भूमि में भी सरोवर बन सकेंगे। राज्य की विषम भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए उसे केंद्र ने सरोवर निर्माण के लिए निर्धारित क्षेत्रफल के मानक में छूट दे दी है।
मिशन के राज्य समन्वयक मोहम्मद असलम ने इसकी पुष्टि की। अमृत सरोवर को लेकर राज्य में गजब का उत्साह है। सभी जिलों में अब तक 1017 सरोवर चयनित किए जा चुके हैं। छह जिले ऐसे हैं, जिन्होंने निर्धारित संख्या 75 से अधिक सरोवर चयनित किए हैं। सरोवरों के नवनिर्माण एवं पुनर्जीवीकरण में 132.91 करोड़ रुपये की लागत आएगी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भविष्य के लिए जल संरक्षण की दृष्टि से इस वर्ष 24 अपै्रल को मिशन अमृत सरोवर की घोषणा की। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के साथ इसे जोड़ते हुए प्रत्येक जिले में 75 अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य रखा गया। तय मानक के अनुसार एक सरोवर (जलाशय) का क्षेत्रफल एक एकड़ या इससे अधिक होना चाहिए। अगले वर्ष 15 अगस्त से पूर्व इन जलाशयों का निर्माण होना है।
विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड ने भी मिशन में विशेष रुचि ली, लेकिन क्षेत्रफल के मानक ने मुश्किल भी खड़ी कर दी थी। कारण ये कि मैदानी क्षेत्रों में तो जलाशय निर्माण को एक एकड़ या इससे अधिक भूमि की उपलब्धता है, लेकिन पहाड़ में ऐसा नहीं हो पा रहा था। इस पर राज्य सरकार ने क्षेत्रफल के मानक में छूट देने का आग्रह किया, जिसे केंद्र ने स्वीकार कर लिया। नतीजतन सरोवर के लिए स्थल चयनित करने के कार्य में तेजी आई।
मिशन के राज्य समन्वयक मोहम्मद असलम ने बताया कि सभी 13 जिलों के लिए निर्धारित 975 सरोवर के लक्ष्य के सापेक्ष 1017 सरोवर चयनित किए गए हैं। अब तक 530 सरोवर स्वीकृत किए जा चुके हैं, जिनमें से 333 में कार्य प्रारंभ हो गया है। अन्य सरोवरों के निर्माण एवं पुनर्जीवीकरण का कार्य शीघ्र प्रारंभ होगा। अधिकांश सरोवर मनरेगा के अंतर्गत बनाए जाएंगे।