
देहरादून। प्रदेश सरकार राज्य की जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का एक प्रतिशत खेलों के विकास पर खर्च करेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री खेल विकास निधि का गठन किया जा रहा है। इस निधि से खेल मैदान बनाने, खिलाड़ियों को प्रोत्साहन व पुरस्कार देने व खेलों से जुड़े अन्य कार्य किए जाएंगे। जरूरत पड़ने पर खेलों को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न उत्पादों पर खेल विकास निधि सेस भी लगाया जा सकता है।
सरकार ने प्रदेश में उभरती हुई प्रतिभाओं को मंच प्रदान करने के लिए हाल ही में खेल नीति जारी की है। इस नीति में खेल प्रबंधन व प्रशासन की भी व्यवस्था की गई है। खेल नीति के माध्यम से खेलों में उच्चतम नैतिक मूल्यों, डोप मुक्त खेल, पारदर्शिता, समान अवसर एवं समयबद्धता को सुनिश्चित करने की बात कही गई है। इस बात पर भी विशेष जोर दिया गया है कि सभी युवाओं को कम से कम उनकी पसंद का एक खेल खेलने का मौका अवश्य मिले।
नीति में खेलों को पांच श्रेणी में बांटा गया है, जिसमें प्रारंभिक खेल यानी स्थानीय निवासियों को खेल की जानकारी देने के साथ ही विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग को तैयार करना भी शामिल है। दूसरी श्रेणी मनोरंजनात्मक खेलों की रखी गई है। इनमें आमजन को मनोरंजक खेलों के जरिये स्वस्थ व तनावमुक्त रखना है। तीसरी श्रेणी में प्रतिस्पर्धात्मक खेल रखे गए हैं।
इसमें प्रतिभावान खिलाड़ियों के कौशल को चरणबद्ध तरीके से विकसित करते हुए बड़ी प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करना शामिल है। चौथी श्रेणी उच्च क्षमता खेलों की रखी गई है। इसमें प्रतिभावान खिलाडिय़ों को अंतरराष्ट्रीय मंच उपलब्ध कराने के लिए स्तरीय खेल सुविधाएं, वैज्ञानिक विधियों एवं अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप प्रशिक्षण देने का प्रविधान है। पांचवीं श्रेणी विकास के लिए खेल है। इसमें खेलों को सामाजिक व आर्थिक विकास के उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाएगा।
खेलों की इन श्रेणियों के विकास को धन की आवश्यकता होगी। इसके लिए मुख्यमंत्री खेल विकास निधि विकसित की जा रही है। इसमें राज्य सरकार द्वारा कारपस फंड उपलब्ध कराया जाएगा। इसके साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र एवं निजी क्षेत्र की कंपनियों से भी खेल विकास को आर्थिक सहायता ली जाएगी। खेल कार्यक्रमों एवं खेल अवस्थापनाओं के व्यावसायिक उपयोग किए जाने पर प्राप्त किए जाने वाला शुल्क भी खेल विकास निधि में डाला जाएगा।